Vastu Tips For Pitru Paksha: श्राद्ध और तर्पण में ध्यान रखें ये Vastu Tips
punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 07:36 AM (IST)

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Vastu Tips For Pitru Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) में जब हम अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं, तब सिर्फ विधि-विधान ही नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र के नियमों का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। इससे कर्म अधिक फलदायी और पितृ तृप्त होते हैं।
श्राद्ध और तर्पण में ध्यान रखने योग्य वास्तु नियम
दिशा का नियम- श्राद्ध कर्म दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा यमलोक और पितृलोक की दिशा मानी जाती है। ब्राह्मण या पंडित को उत्तरमुख बैठाना चाहिए और स्वयं दक्षिणमुख होकर तर्पण करना चाहिए।
स्थान की शुद्धि- श्राद्ध कर्म हमेशा घर के आंगन, प्रांगण या खुले स्थान में करना श्रेष्ठ है। स्थान को पहले गोमूत्र, गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध करें। श्राद्ध कभी भी शयन कक्ष या रसोई घर में नहीं करना चाहिए।
आसन और व्यवस्था- स्वयं कुश के आसन पर बैठें और ब्राह्मणों को भी पवित्र आसन दें। पितरों के लिए पिंडदान व तर्पण हेतु दक्षिण दिशा की ओर थाली-पात्र रखें।
भोजन व्यवस्था- ब्राह्मण भोजन कर रहे हों तो घर के सदस्य सामने न बैठें, बल्कि श्रद्धा और मौन भाव से सेवा करें। वास्तु के अनुसार भोजन परोसने की दिशा पूर्व या उत्तर दिशा से परोसना श्रेष्ठ माना गया है।
श्राद्ध सामग्री का स्थान- तर्पण के लिए जल-पात्र और तिल दक्षिण दिशा में रखें। पितरों को अर्पित पिंड (चावल-तिल से बने) दक्षिणाभिमुख रखकर ही अर्पित करें।
श्राद्ध में अग्नि का महत्व- हवन या आहुति यदि हो तो उसे पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें। अग्नि स्थान को साफ और पवित्र रखें।
दान की दिशा- ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान-दक्षिणा देते समय दोनों हाथों से दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए समर्पण करना श्रेष्ठ है।
श्राद्ध और तर्पण में विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
श्राद्ध और तर्पण हमेशा दोपहर (मध्यान्ह काल) में करें।
श्राद्धकर्म करने वाला व्यक्ति उस दिन सफेद या पीले वस्त्र धारण करे।
श्राद्ध वाले स्थान पर अनावश्यक बातचीत, हंसी-मज़ाक या शोर नहीं होना चाहिए।
श्राद्ध कर्म के बाद घर को गंगा जल से शुद्ध करना और दीपक जलाना शुभ माना गया है।