Vaishakh Amavasya 2025: वैशाख अमावस्या पर इस मुहूर्त में करें स्नान-दान, जानें सही तिथि
punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 06:37 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vaishakh Amavasya 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है लेकिन वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व है। यह तिथि न केवल पितृ तर्पण और दान-पुण्य के लिए जानी जाती है बल्कि स्नान, ध्यान और तपस्या के लिए भी श्रेष्ठ मानी जाती है। वैशाख मास का पावन महीना भगवान विष्णु और तपस्वियों का प्रिय मास होता है। इस अमावस्या पर गंगा स्नान, पीपल पूजन, व्रत, दान और पितरों का श्राद्ध करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में वैशाख अमावस्या का दिन विशेष शुभ संयोग लेकर आ रहा है और इसका शुभ मुहूर्त भी धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल माना जा रहा है।
Vaishakh Amavasya Date and Muhurta वैशाख अमावस्या 2025 की तिथि और मुहूर्त
वर्ष 2025 में वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को सुबह 4:49 बजे से शुरू होकर 28 अप्रैल को सुबह 1 बजे तक रहने वाली है। रविवार के दिन पड़ने की वजह से ये दिन और भी खास है।
स्नान-दान का अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.53 से दोपहर 12.45 तक।
सर्वार्थ सिद्धि मुहूर्त से सुबह 5.44 से पूरे दिन।
वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व
वैशाख अमावस्या को कई धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम माना गया है। खासकर इस दिन पितृ तर्पण और श्राद्ध का अत्यंत महत्व है। जो जातक अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्रद्धा से तर्पण करते हैं, उन्हें पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं। माना जाता है कि पितरों के अशांत होने से परिवार में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती हैं और वैशाख अमावस्या का दिन ऐसा अवसर होता है जब उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा से किया गया कर्म फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त, यह दिन स्नान, ध्यान, दान और व्रत का भी विशेष महत्व रखता है। विशेष रूप से तीर्थों में जाकर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में शांति और सफलता प्राप्त होती है।
क्या करें वैशाख अमावस्या पर
गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें:
सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत फलदायक माना गया है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य दें:
स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल चढ़ाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
पितृ तर्पण और श्राद्ध करें:
इस दिन पितरों के लिए जल, तिल और भोजन अर्पित करें। इससे पितृ दोष का निवारण होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
दान करें:
वस्त्र, अन्न, जल, चप्पल, छाता, तिल, गुड़ आदि का दान करना विशेष रूप से पुण्य दायक होता है। जरूरतमंदों की मदद करें।
व्रत और उपवास रखें:
पूरे दिन सात्विक आहार लें और व्रत रखकर भगवान विष्णु या शिव का पूजन करें। इससे मानसिक शांति और मनोकामना पूर्ति होती है।