Triyuginarayan mandir: इस मंदिर में रचाई थी भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती से शादी

punjabkesari.in Friday, Mar 07, 2025 - 01:37 PM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Triyuginarayan mandir: जैसा कि हम सभी को पता है कि माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। ऐसे में सभी देवताओं का भी यही मत था कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह शिव जी से हो जाएं। माता पार्वती की कठोर तपस्या देखकर भोले बाबा ने अपनी आंख खोली और पार्वती से आवहन किया कि वो किसी समृद्ध राजकुमार से शादी कर लें। शिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है। लेकिन माता पार्वती तो अडिग थी, उन्होंने साफ कर दिया था कि वो विवाह सिर्फ भगवान शिव से ही करेंगी। अब पार्वती की ये जिद देख भोलेनाथ उनसे विवाह के लिए मान गए। लेकिन कई लोगों को इस बात का नहीं पता होगा कि भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी कहां हुई थी। तो आइए जानते हैं उस जगह के बारे में जहां भगवान शंकर व पार्वती विवाह के बंधन में बंधे थे।

PunjabKesari Triyuginarayan mandir

ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। ये अत्यंत प्राचीन मंदिर त्रियुगीनारायण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है इस मंदिर में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी व भूदेवी के साथ विराजमान हैं और ये ही वो जगह है। जहां देवी पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान भोलेनाथ से विवाह रचाया था। इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भ्राता होने का कर्तव्य निभाते हुए उनका विवाह संपन्न करवाया था। इस मंदिर में स्थित अग्निकुंड के फेरे लेकर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था और इस अग्निकुंड की खास बात ये है कि इस अग्निकुंड में आज भी एक लौ जलती रहती है। ये लौ शिव-पार्वती विवाह की प्रतीक मानी जाती है, इसलिए इस मंदिर को अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है।

PunjabKesari Triyuginarayan mandir

इसके अलावा मंदिर के पास ही तीन कुण्ड भी है। जिन्हें ब्रह्माकुण्ड,विष्णुकुण्ड और रुद्रकुण्ड के नाम से जाना जाता है। ब्रह्माकुण्ड में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के विवाह से पूर्व स्नान किया था व स्नान करने के पश्चात विवाह में पुरोहित के रूप में प्रस्तुत हुए थे। विष्णुकुण्ड में भगवान शिव के विवाह से पूर्व विष्णु जी ने स्नान किया था और रुद्रकुण्ड में विवाह में उपस्थित होने वाले सभी देवी-देवताओं ने स्नान किया था। मान्यता के अनुसार, इन सभी कुण्डों में जल का स्रोत सरस्वती कुण्ड है। सरस्वती कुण्ड का निर्माण विष्णु जी की नासिका से हुआ है। माना जाता है कि विवाह के समय भगवान शिव को एक गाय भी भेंट की गई थी, उस गाय को मंदिर में ही एक स्तम्भ पर बांधा गया था। माना जाता है कि त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से स्थापित है। इस मंदिर में आज भी अग्निकुंड में अग्नि जलती है, यहां प्रसाद के रूप में लकड़ियां डाली जाती है इस अग्निकुंड में श्रद्धालु धूनी भी लेकर जाते हैं ताकि उनके वैवाहिक जीवन मे सदा सुख-शांति बनी रहे। माना जाता है कि विवाह से पहले सभी देवी-देवताओं ने जिस कुण्ड में स्नान किया था, उन सभी कुण्डों में स्नान करने से "संतानहीनता" से मुक्ति मिलती है व मनुष्य को संतान की प्राप्ति होती है। 

PunjabKesari Triyuginarayan mandir


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Sarita Thapa

Related News