शरीर मरने के बाद भी जीवित रहती है आत्मा, जानें सत्य

punjabkesari.in Monday, May 11, 2020 - 01:19 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है, मिला प्रारब्ध कर्मों से है, देने वाला ईश्वर है। जितने दिन वह चाहता है उतने दिन यह शरीर रूपी खिलौना हमें मिलता है। जब वह चाहे यह खिलौना वापस ले लेगा। इस पर मेरा अधिकार कैसा और जैसे इस देह से जुदा हूं, ऐसे ही इस मन से भी मैं जुदा हूं।

PunjabKesari The soul remains alive even after the body dies
इसके अलावा एक और शरीर है, कारण शरीर। कारण शरीर अज्ञान का शरीर। तो स्थूल, सूक्ष्म और कारण इन तीनों पर्दों से परे हूं मैं। इन तीनों पर्दों के पीछे जरा देख तू कौन है? कहां, तू चिदानंदरूप है, चितरूप है, आनंदरूप है। सत्य रूप है तू, अब यहां मैं देह के लिए नहीं कह रही हूं कि सत्य है। मन के लिए नहीं कह रही हूं कि सत्य है। बुद्धि के लिए नहीं कह रही हूं सत्य है। अहंकार के लिए नहीं कह रही हूं सत्य है। ‘तुम’। ‘तुम’ सत्य हो। इसी तुम को शास्त्रीय भाषा में कहा है ‘आत्मा’। आत्मा सत्य है।

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लेकिन बहुत बार आत्मा शब्द सुनते ही लोगों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि आत्मा माने, कहीं कोई भी आत्मा है वह। पता नहीं कौन। वह सत्य होती है। कहीं कोई और नहीं, प्यारे। आत्मा का अर्थ है ‘मैं’। गुरु कहता है ‘तू सत्य है’ और शिष्य कहता है, ‘मैं सत्य हूं’। पर ‘मैं सत्य हूं’ यह अनुभव करने के लिए पहले यह मेरी बुद्धि को तो समझ आ जाए बात कि मैं कैसे सत्य हूं। कैसे हूं मैं सत्य? कैसे हूं मैं चेतन? कैसे हूं मैं आनंद? चिंतानंद, मैं सच्चिदानंद हूं कैसे?

‘मैं’ सत्य कैसे हूं, यह जानने के लिए सत्य क्या है। असत्य क्या है, यह जानना जरूरी है।

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सत्य किसको कहते हैं? जो तीनों काल में मौजूद हो, वह है सत् और जो तीनों कालों में मौजूद नहीं है वह हुआ असत्। तीन काल कौन से? भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल यानी पास्ट, प्रैजैंट, फ्यूचर। इन तीनों कालों में जिसका होना, जिसका अस्तित्व मौजूद रहे, बना रहे उसी को कहा सत्य और जो तीनों कालों में नहीं रहता है, वह हुआ असत्य।

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शरीर अभी है माना, पर पहले था यह? बार-बार जन्म हुआ, बार-बार तुम्हारे शरीर की मृत्यु हुई। बार-बार मां के गर्भ में तुम लटके हो। बार-बार यह चक्र तुम्हारा चल रहा है। शरीर कभी है और कभी नहीं होता है।

अभी है, शरीर इस जन्म से पहले यह नहीं था, यह शरीर भी मर जाएगा, पर इस शरीर के पहले मैं था। अभी हूं यह भी मैं जान रहा हूं और शरीर जब मर जाएगा। तब भी मैं बचूंगा।


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Niyati Bhandari

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