इस दिन हुआ था श्री राम की अर्धांगनी का जन्म, ऐसे करें इन्हें प्रसन्न

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 12:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर साल सीता नवमी का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व राम नवमी से लगभग एक माह बाद आता है। बता दें, वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 10 मई 2022, मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इस दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है। इस दुर्लभ संयोग पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम का पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी माना गया है। भगवान श्री राम को विष्णु तो माता सीता को लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है। इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं सीता नवमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन विधि।

PunjabKesari, Sita Navami 2022, Sita Navam

सबसे पहले आपको बता दें, नवमी तिथि का आरंभ 09 मई , सोमवार शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा और इसका समापन 10 मई, मंगलवार शाम 07 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर सीता नवमी 10 मई को मनाई जाएगी। सीता नवमी के पूजन का शुभ मुहूर्त रेहगा 10 मई, मंगलवार सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक। शुभ मुहूर्त की कुल अवधि रहेगी कुल 02 घण्टे 42 मिनट। इस समय पर मां सीता व श्री राम का पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

PunjabKesari, Sita Navami 2022, Sita Navam

सीता नवमी की पूजन विधि- 
सीता नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें। 
घर में रखे गंगा जल से भगवान श्री राम और सीता माता की मूर्ति को स्नान कराएं।  
इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर माता सीता और भगवान राम की विधिपूर्वक से पूजा करें। 
इसके बाद उन्हें  भोग लगाएं।  
सीता माता के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें। 
अब भगवान राम और माता सीता की आरती करें। 

बता दें, सीता नवमी के महत्व के बारें में, सीता नवमी माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता सीता की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मिथिला नरेश जनक जी अपने खेतों में हल चला रहे थे, तो उस समय उनको वहां से माता सीता पुत्री स्वरूप में प्राप्त हुई थीं।

PunjabKesari, Sita Navami 2022, Sita Navam
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News