Satya katha: भक्ति की शक्ति का अद्भुत उदाहरण है बांके बिहारी की ये चमत्कारी कथा

punjabkesari.in Monday, Jan 17, 2022 - 10:33 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shri Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan: एक व्यक्ति पाकिस्तान से एक लाख रुपये का रूहानी इत्र लेकर वृंदावन आया। उसने संत श्री हरिदास जी महाराज और बांके बिहारी के बारे में बहुत सुना हुआ था। उनके मन में आया की मैं बिहारी जी को ये इत्र भेंट करूं। उस इत्र की खासियत थी की अगर बोतल को उल्टा कर दिया जाए तो भी इत्र धीरे-धीरे गिरेगा और इसकी खुशबु लाजवाब थी।

.PunjabKesari  Shri Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan
जब वे वृन्दावन पहुंचा तो उस समय संत जी एक भाव में डूबे हुए थे। संत देखते हैं की राधा-कृष्ण दोनों होली खेल रहे हैं। जब उस व्यक्ति ने देखा की ये तो ध्यान में हैं तो उसने वह इत्र की शीशी उनके पास में रख दी और पास में बैठकर संत की समाधी खुलने का इंतजार करने लगा। तभी संत देखते हैं की राधा जी और कृष्ण जी एक दूसरे पर रंग डाल रहे हैं। पहले कृष्ण जी ने रंग से भरी पिचकारी राधा जी के ऊपर मारी और राधा रानी सर से लेकर पैर तक रंग में रंग गई। अब जब राधा जी रंग डालने लगी तो उनकी कमोरी (छोटा घड़ा) खाली थी।

संत को लगा की राधा जी तो रंग डाल ही नहीं पा रही है क्योंकि उनका रंग खत्म हो गया है। तभी संत ने तुरंत वह इत्र की शीशी खोली और राधा जी की कमोरी में डाल दी और तुरंत राधा जी ने कृष्ण जी पर रंग डाल दिया। हरिदास जी ने सांसारिक दृष्टि में वो इत्र भले ही रेत में डाला लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि में वो राधा रानी की कमोरी में डाला।

उस भक्त ने देखा की इन संत ने सारा इत्र जमीं पर गिरा दिया। उसने सोचा में इतने दूर से इतना महंगा इत्र लेकर आया था पर इन्होंने तो इसे बिना देखे ही सारा का सारा रेत में गिरा दिया। मैंने तो इन संत के बारे में बहुत कुछ सुना था लेकिन इन्होंने मेरे इतने महंगे इत्र को मिट्टी में मिला दिया।

PunjabKesari  Shri Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan
वह कुछ भी न बोल सका। थोड़ी देर बाद संत ने आंखे खोली उस व्यक्ति ने संत को अनमने मन से प्रणाम किया। अब वो व्यक्ति जाने लगा। तभी संत ने कहा, "आप अंदर जाकर बिहारी जी के दर्शन कर आएं।"

उस व्यक्ति ने सोचा की अब दर्शन करें या न करें क्या लाभ। इन संत के बारे में जितना सुना था सब उसका उल्टा ही पाया है। फिर भी चलो चलते समय दर्शन कर लेता हूं। क्या पता अब कभी आना हो या ना हो ?

ऐसा सोचकर वह व्यक्ति बांके बिहारी के मंदिर में अंदर गया तो क्या देखता है की सारे मंदिर में वही इत्र महक रहा है और जब उसने बिहारी जी को देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ बिहारी जी सिर से लेकर पैर तक इत्र में नहाए हुए थे।
PunjabKesari  Shri Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan
उसकी आंखों से प्रेम के आंसू बहने लगे और वह सारी लीला समझ गया तुरंत बाहर आकर संत के चरणों मे गिर पड़ा और उन्हें बार-बार प्रणाम करने लगा, " संत जी! मुझे माफ़ कर दीजिये। मैंने आप पर अविश्वास दिखाया।"

संत ने उसे माफ़ कर दिया और कहा की भैया ! तुम भगवान को भी सांसारिक दृष्टि से देखते हो लेकिन मैं संसार को भी आध्यात्मिक दृष्टि से देखता हूं।"

- राजू गोस्वामी
सेवाधिकारी श्री बांके बिहारी मंदिर
श्री वृंदावन धाम 

PunjabKesari  Shri Bankey Bihari Ji Temple Vrindavan


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News