Shivling at home: घर में शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए या नहीं ?
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2024 - 01:55 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
भगवान शिव का प्रिय मास श्रावण शुरू हो चुका है और इस दौरान भोलेनाथ के मंदिरों में पूजा के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।इस पवित्र महीने के दौरान भक्त समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद पाने के लिए विभिन्न अनुष्ठान भी करते हैं।सावन में किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों में से एक है शिवलिंग की पूजा। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग की पूजा के विशेष लाभ मिलते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसे में कई लोग घर में शिवलिंग की पूजा करते हैं लेकिन घर में शिवलिंग रखने के भी कुछ नियम हैं। घर में कौन सा शिवलिंग रखना चाहिए और इसकी पूजा कैसी करनी चाहिए तो आईए जानते हैं-
सावन में घर में शिवलिंग की पूजा करें तो आपको घर में कौन सा शिवलिंग रखना चाहिए ये भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष के अनुसार, घर में पारद शिवलिंग रखना सबसे शुभ माना गया है। इसके अलावा आप स्फटिक का शिवलिंग भी घर में रख सकते हैं।
अगर आप नर्मदा नदी के शिवलिंग की पूजा करते हैं तो ये सबसे ज्यादा शुभ होता है। शिवलिंग भगवान शंकर के निराकार रूप का प्रतिनिधित्व करता है और उनके अनंत स्वरूप का प्रतीक भी माना गया है इसलिए कुछ विशेष प्रकार के शिवलिंग की ही पूजा घर में करने की सलाह दी जाती है।
अगर आप घर में शिवलिंग की पूजा या अभिषेक करने करने जा रहे हैं तो बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, बिल्व पत्र, चंदन का लेप, आक के फूल, सफेद फूल, कमल, मौसमी फल, शहद, शक्कर, चीनी, गंगा जल, गाय का दूध, अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य, प्रसाद के लिए मिठाई और आचमन के लिए जल का पात्र ज़रूर रखें।
सावन में शिवलिंग की पूजा करने के लिए सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके लिए दूध, दही, शहद और गंगा जल से शिवलिंग को स्नान कराएं। जब भी शिवलिंग का अभिषेक करें, उन्हें जल से भी स्नान कराना चाहिए।
अगर आप शिवलिंग की पूजा घर में कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि हमेशा जलाभिषेक बैठकर ही करें। घर में शिवलिंग की पूजा के बाद आप भगवान शिव की आरती करें और भोग चढ़ाएं।
शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद उस पर चंदन का तिलक लगाएं और उसके बाद बेल पत्र, फूल-माला, भांग-धतूरा आदि चढ़ाएं।शिवलिंग की पूजा के समय उसके आस-पास की जगह खाली रखनी चाहिए, जिससे जल सीधे ही जलहरी से नीचे एक प्रवाह में बहे।