इन नवरात्रों में नौ देवियों के साथ नौ ग्रहों को भी करें प्रसन्न
punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2022 - 03:46 PM (IST)

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देवी के भक्तों को नवरात्रि का बहुत शिद्धत से इंतजार रहता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ साथ नौ ग्रहों को शांत करने का सुनहरा अवसर भी हमें हासिल होता है क्योंकि हर देवी का संबंध किसी ना किसी ग्रह से ज़रूर है। जब हम इन देवियों की नवरात्रि के दौरान पूजा करते हैं तो उस देवी से संबंधित ग्रह दोष भी शांत हो जाते हैं और पुण्य फल मिलने लगते हैं। 26 सितंबर से शुरू हुए शरद नवरात्रि के इन नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा , कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान किस देवी की आराधना से किस ग्रह के दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। देवी के नौ स्वरूपों में से शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित दोष दूर होते हैं। आईए जानते हैं किस किस देवी की पूजा से कौन सा ग्रह होता है शांत-
चंद्रघंटा की पूजा करने से शुक्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं।
मां कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के सभी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है और सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
मां स्कंदमाता की पूजा से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।
मां कात्यायनी की आराधना से गुरू के दोषों का निवारण होता है और देव गुरू बृहस्पति को मजबूती मिलती है।
इसी तरह मां कालरात्रि की आराधना से शनि से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है।
मां महागौरी की विधिवत पूजा अर्चना से राहु से संबंधित दोषों का नाश होता है। माता सिद्धिदात्री की पूजा केतु से संबंधित सभी दोषों को समाप्त करती हैं।
चूंकि नवरात्रि के 2 दिन बीत चुके हैं तो जानते हैं तीसरी माता से लेकर नौवों माता तक से संबंधित जानकारी-
नवरात्रि के तीसरे दिन मां पार्वती के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी की आराधना की जाती है। देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध वृत्ताकार चंद्रमा विराजमान है, जो घंटी के समान दिखाई देता है, इसलिए मां के इस रूप को चंद्रघंटा के नाम से जाता है। मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, वे खड़ग, त्रिशूल, गदा सहित कई अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित है। मां का यह चंद्र घंटा रूप शुक्र ग्रह का स्वामी है। माना जाता है की मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। शुक्र से पीड़ित जातकों को देवी के इस स्वरूप की पूजा करना शुभ होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से प्रेम अथवा वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियों का नाश होता है। इसी के साथ शुक्र से संबंधित दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के चौथे दिन मां पार्वती के कुष्मांडा रूप की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती सिद्धिदात्री रूप लेने के बाद वे ब्रह्मांड को शक्ति प्रदान करने के लिए सूर्य के केंद्र में स्थित हुई। मां कुष्मांडा सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसलिए भगवान सूर्य का शासन देवी कुष्मांडा द्वारा किया जाता है।
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मां कुष्मांडा की आराधना से सूर्य के सभी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। मां कुष्मांडा की सवारी शेर है और उनकी अष्ट भुजाओं में अस्त्रृशस्त्र सहित माला, कमल और अमृत कलश होता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की आराधना के लिए उत्तम माना गया है। मां के इस रूप की चार भुजाएं है और उन्होंने अपने दाएं हाथ में भगवान कार्तिकेय को थामा है वहीं, दो अन्य हाथों में कमल के फूल, और एक हाथ वर मुद्रा में है। बुद्धि और ज्ञान के ग्रह बुध पर देवी स्कंदमाता का शासन होता है। मां स्कंदमाता की पूजा से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार राक्षस महिषासुर से जन मानस को मुक्ति देने के लिए देवी पार्वती ने मां कात्यायनी का रूप धारण किया था। माता के इस स्वरूप को महिसासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है। मां कात्यायनी वैदिक ज्योतिष में अमृत समान माने गये गुरू ग्रह पर शासन करती है। मां कात्यायनी की आराधना से गुरू के दोषों का निवारण होता है और गुरू को मजबूती मिलती है। देव गुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए मां कात्यायनी की आराधना करना बहुत जरूरी है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। कालरात्रि माता पार्वती का सबसे उग्र स्वरूप है। घने अंधकार के समान रंग लिए मां कालरात्रि की सवारी गधा है। उनके चार हाथ है, एक हाथ में तलवार और दूसरे में लौह अस्त्र है। वहीं एक हाथ अभयमुद्रा, तो वहीं दूसरा हाथ वरमुद्रा में है। ग्रहों में न्यायधीश शनि पर मां कालरात्रि का शासन होता है, नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना से शनि से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है। मां महागौरी के चार हाथ है, एक हाथ में डमरू, दूसरे में तलवार, वहीं तीसरा अभय मुद्र और चैथा हाथ वरमुद्रा में है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी को राहु ग्रह का स्वामी माना जाता है, नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की विधिवत पूजा अर्चना से राहु से संबंधित दोषों का नाश होता है।
नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। इनके चार हाथ हैं और वे कमल पुष्प पर विराजमान हैं। देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह की स्वामी है, माता सिद्धिदात्री की पूजा केतु से संबंधित सभी दोषों को समाप्त करती हैं।
गुरमीत बेदी
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