Radha Ashtami: आज है श्रीकृष्ण को प्राणों से भी प्रिय राधारानी का जन्मोत्सव, पढ़ें कथा
punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 10:37 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Radha Ashtami 2023: जिनका दर्शन बड़े-बड़े देवताओं के लिए भी दुर्लभ है, तत्वज्ञ मनुष्य सैकड़ों जन्मों तक तप करने पर भी जिनकी झांकी नहीं पाते, वे ही श्रीराधिका जी वृषभानु जी के यहां साकार रूप से प्रकट हुईं। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्रीराधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है।
शास्त्रों में श्रीराधा जी परात्पर ब्रह्म भगवान कृष्ण जी की शाश्वत शक्तिस्वरूपा एवं प्राणों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में वर्णित हैं। यह वर्णन हमें बह्मवैवर्त पुराण तथा गर्ग संहिता में मिलता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खण्ड में श्री राधा जी की स्तुति में कहा गया है -
त्वं देवी जगतां माता विष्णुमाया सनातनी। कृष्णप्राणाधिदेवि च कृष्णप्राणाधिका शुभा॥
श्रीराधे! तुम देवी हो। जगजननी सनातनी विष्णु-माया हो। श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी तथा उन्हें प्राणों से भी अधिक प्रिय हो। शुभस्वरूपा हो। श्रीराधे ! आप श्रीकृष्ण की भक्ति प्रदान करने वाली मङ्गलदायिनी हैं। आपको कोटि नमस्कार है।
जो प्रतिदिन श्रीराधा जी की पूजा करता है, वह जीवन मुक्त एवं पवित्र हो जाता है। इहलोक में वह मनुष्य उत्तम ऐश्वर्य से सम्पन्न एवं पुण्यवान होता है और अन्त में सब पापों से मुक्त हो श्रीकृष्ण धाम में जाता है।
भगवान शिव कहते हैं- आदिकाल में पहले श्रीकृष्ण ने इसी क्रम से वृन्दावन के रासमण्डल में श्रीराधा की स्तुति एवं पूजा की थी।
दूसरी बार तुम्हारे वर से वेदमाता सावित्री को पाकर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने इसी क्रम से श्रीराधा जी का पूजन किया था। भगवान नारायण ने भी श्रीराधा की आराधना करके मां महालक्ष्मी, गंगा तथा भुवनपावनी पराशक्ति तुलसी को प्राप्त किया था।
एक समय देवेश्वरी महादेवी उमा महादेव जी के सामने राधिकोपाख्यान सुनाने के लिए अनुरोध करने लगीं, जो पुराणों में भी परम दुर्लभ है।
पार्वती जी का उपर्युक्त वचन सुनकर भगवान शिव मौन हो गए और चिन्ता में पड़ गए। उस समय उन्होंने अपने इष्टदेव करुणानिधान भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान द्वारा स्मरण किया और उनकी आज्ञा पाकर वह अपनी अर्धांगस्वरूपा पार्वती जी से इस प्रकार बोले-
‘देवी! आगमाख्यान का आरम्भ करते समय मुझे परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण ने राधाख्यान के प्रसंग से रोक दिया था, परंतु महेश्वरि! तुम तो मेरा आधार अंग हो, अत: स्वरूपत: मुझ से भिन्न नहीं हो इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने इस समय मुझे यह प्रसंग तुम्हें सुनाने की आज्ञा दे दी है। मेरे इष्टदेव की वल्लभा श्रीराधा का चरित्र अत्यन्त गोपनीय, सुखद तथा श्रीकृष्ण भक्ति प्रदान करने वाला है। यह श्रेष्ठ प्रसंग मैं जानता हूं। मैं जिस रहस्य को जानता हूं, उसे ब्रह्मा तथा नागराज शेष भी नहीं जानते।
सनत्कुमार, सनातन, देवता, धर्म, देवेन्द्र, मुनीन्द्र, सिद्धेन्द्र तथा सिद्धपुंगवों को भी उसका ज्ञान नहीं है। श्रीराधा जी का चरित्र अत्यन्त पुण्यदायक तथा दुर्लभ है।
श्रीराधा श्रीकृष्ण की आराधना करती हैं और श्रीकृष्ण श्रीराधा की। वे दोनों परस्पर आराध्य और आराधक हैं। हे दुर्गे! भक्त पुरुष ‘रा’ शब्द के उच्चारण मात्र से परम दुर्लभ मुक्ति को पा लेता है और ‘धा’ शब्द के उच्चारण से वह निश्चय ही श्रीहरि के चरणों में दौड़कर पहुंच जाता है। स्वयं श्रीराधा श्रीकृष्ण की प्रियतमा हैं तथा श्रीकृष्ण के ही वक्ष:स्थल में वास करती हैं।
वह उन परमात्मा श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। हे पार्वती! ब्रह्मा से लेकर तृण अथवा कीटपर्यन्त सम्पूर्ण जगत मिथ्या ही है। केवल त्रिगुणातीत परब्रह्म परमात्मा श्रीराधावल्लभ श्रीकृष्ण ही परम सत्य हैं; अत: तुम उन्हीं की आराधना करो। भगवान श्रीकृष्ण जी के अवतरण के समय उनका सान्निध्य प्राप्त करने के उद्देश्य से देवी श्रीराधा को गोलोक से इस भूतल पर आना पड़ा था। उस समय वह वृषभानु गोप के घर में अवतीर्ण हुई थीं।
वहीं ब्रह्मा जी ने पूर्वकाल में श्रीराधा के चरणारविन्द का दर्शन पाने के लिए पुष्कर में 60 हजार वर्षों तक तपस्या की थी, उसी तपस्या के फलस्वरूप इस समय उन्हें श्रीराधा-चरणों का दर्शन प्राप्त हुआ था।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Related News
Recommended News
Recommended News

चुनावी नतीजों के बीच ‘इंडिया' गठबंधन का बड़ा फैसला

Utpanna Ekadashi: 8 या 9 दिसंबर जानें, किस दिन मनाई जाएगी मार्गशीर्ष माह की पहली एकादशी

Kharmas 2023: जल्द ही शहनाइयों के साथ इन चीजों पर लगेगा break, जानें कब से लगने जा रहा है खरमास ?

घर में लगाएं भोलेनाथ की ऐसी तस्वीर, जिंदगी की परेशानियां होंगी दूर