Motivational Story: गुस्से की जंजीरों से आज़ादी चाहते हैं, तो जरूर पढ़े संत दादू की यह कथा

punjabkesari.in Wednesday, May 07, 2025 - 12:51 PM (IST)

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Motivational Story: संत दादू ईश्वर के अनन्य भक्त थे। एक बार उनके बारे में सुनकर एक दरोगा उन्हें गुरु बनाने की खोज में उस वन में पहुंचा, जहां दादू रहते थे। अभी दरोगा ने घने वन में प्रवेश ही किया था कि साधारण सी धोती पहने एक व्यक्ति दिखाई दिया। दरोगा ने उससे पूछा,  “तुझे मालूम है कि संत दादू का आश्रम कहां है?” वह व्यक्ति दरोगा के अभद्रतापूर्ण प्रश्न को नजरअंदाज करते हुए अपने काम में लगा रहा।

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जब उसे अपने प्रश्न का उत्तर नहीं मिला तो उसने गुस्सा होकर उस व्यक्ति की पिटाई कर दी। इस पर भी जब वह व्यक्ति मौन रहा तो दरोगा ने उसे ठोकर मारी और आगे की ओर बढ़ गया। आगे जाने पर दरोगा को एक और आदमी मिला। दरोगा ने उससे भी पूछा, “क्या तुम्हें मालूम है संत दादू कहां रहते हैं?

उन्हें भला कौन नहीं जानता? वह तो उधर ही रहते हैं जिधर से आप आ रहे हैं। मैं भी उनके दर्शन के लिए ही जा रहा हूं, आप मेरे साथ ही चलिए।”

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 वह व्यक्ति बोला। दोनों बातें करते-करते आश्रम पहुंचे। उस व्यक्ति ने बताया कि यहीं संत दादू रहते हैं। इतने में सामने से वही व्यक्ति आता दिखाई दिया जिसे दरोगा ने भला-बुरा कहा था। साथ वाले व्यक्ति ने उस सामने से आते व्यक्ति को प्रणाम किया और दरोगा का परिचय कराया। दरोगा लज्जा से पानी-पानी हो गया। जिसे मामूली आदमी समझकर दरोगा ने अपमानित किया था उन्हीं के चरणों में गिरकर वह माफी मांगने लगा।

दरोगा का उतरा चेहरा देखकर संत हंसते हुए बोले, “भाई इसमें इतना बुरा मानने की क्या बात है? 

कोई मिट्टी का घड़ा खरीदता है तो भी ठोक-बजाकर देख लेता है। फिर तुम तो मुझे गुरु बनाने आए थे। इसलिए कहा गया है कि पहले तौलो फिर बोलो। यदि अपने गुस्से पर नियंत्रण न रख सके तो आप किसी के भी प्रिय नहीं बन सकते।” संत दादू की सहनशीलता के आगे दरोगा नतमस्तक हो गया।

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Content Editor

Sarita Thapa

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