Parshuram Jayanti 2019ः यहां जानें, कब और कैसे हुआ था भगवान परशुराम का जन्म

punjabkesari.in Tuesday, May 07, 2019 - 10:29 AM (IST)

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हिंदू धर्म के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व 07 मई 2019 यानि कि आज मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली तृतीया तिथि वाले दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है और इसके साथ ही आज परशुराम जयंती भी मनाई जाएगी। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। इनके जन्म स्थान को लेकर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं, जिसे शायद आज तक कोई नहीं जाना पाया। 
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भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का देवता माना जाता है। जब भी हम भगवान परशुराम को याद करते हैं तो उस परम तेजस्वी सत्ता का एहसास होता है जो अपने तपोबल और बाहुबल से समकालीन दिग्भ्रमित समाज को सही दिशा देने की अथक कोशिश करते हैं। भगवान परशुराम किसी समाज विशेष के आदर्श नहीं है। बल्कि वे संपूर्ण हिंदू समाज के हैं और वे चिरंजीवी हैं। उन्हें राम के काल में भी देखा गया और कृष्ण के काल में भी और ऐसा भी माना गया है कि वह कलिकाल के अंत में उपस्थित होंगे। वे कल्प के अंत तक धरती पर ही तपस्यारत रहेंगे। पौराणिक कथा में वर्णित है कि महेंद्रगिरि पर्वत भगवान परशुराम की तप की जगह थी और अंतत: वह उसी पर्वत पर कल्पांत तक के लिए तपस्यारत होने के लिए चले गए थे।
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ये बात तो सब जानते ही होंगे कि वे भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। भगवान परशुराम का जन्म भगवान श्रीराम के पूर्व हुआ था और श्रीराम सातवें अवतार थे। परशुराम के जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचसलित हैं। वर्तमान शोधकर्ताओं के द्वारा रामायण के आधार पर किए गए शोधानुसार श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। दूसरी ओर माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मणों के इतिहास-लेखक, श्रीबाल मुकुंद चतुर्वेदी के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। इनका जन्म समय सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने।
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भगवान परशुराम जी का जन्म अक्षय तृतीया पर हुआ था इसलिए अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में उच्च के ग्रहों से युक्त मिथुन राशि पर राहु के स्थित रहते माता रेणुका के गर्भ से भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। 


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