Nirjala Ekadashi: आंतरिक जागरूकता के लिए निर्जला एकादशी पर करें इस मंत्र का जाप
punjabkesari.in Saturday, May 17, 2025 - 02:50 PM (IST)

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Nirjala Ekadashi 2025: शास्त्रीय दृष्टिकोण से निर्जला एकादशी की बहुत विशिष्टता है। भीम एकादशी का रहस्य महाभारत में वर्णित है कि बलशाली भीमसेन भोजन त्याग नहीं कर पाते थे इसलिए वे श्री व्यास जी के कहने पर साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य केवल निर्जला एकादशी पर व्रत रखकर प्राप्त करते थे इसीलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। परंतु यह केवल सुविधा नहीं थी भीम ने अपनी सबसे कठिन परीक्षा के रूप में यह व्रत रखा था। यह उनके भीतर के अहंकार पर विजय का प्रतीक बना।
पानी का त्याग करके पांच तत्वों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। जल केवल शरीर की आवश्यकता नहीं है बल्कि मन और वासना का प्रतिनिधि भी माना गया है। निर्जला व्रत वास्तव में केवल जल त्याग नहीं है बल्कि काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार इन पांच मनोविकारों को एक दिन के लिए पूरी तरह रोकने का संकल्प है। जल का त्याग प्रतीक है भावनाओं के संयम का।
चेतना की शुद्धि का दिन है निर्जला एकादशी। निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से शरीर सूखता है लेकिन आत्मा सींची जाती है। उपवास केवल भूख का दमन नहीं है, बल्कि चित्त को परमात्मा की ओर मोड़ने की एक कुंजी है। यह दिन एक आध्यात्मिक तप है, जिसमें व्यक्ति मूल चक्र से सहस्रार चक्र की ओर ध्यान ले जाता है।
निर्जला एकादशी वह दिन है जब व्यक्ति अपने भीतर के जलधारात्मक संसार को सुखा कर आकाशीय शांति की ओर बढ़ता है। जल यहां प्रतीक है इच्छाओं, वासनाओं और सांसारिक चंचलता का। निर्जल होना, मतलब भीतर का सागर शांत करना है। यह दिन अंतःकरण की तपस्या है, जहां बाहरी नियमों से ज्यादा आंतरिक जागरूकता की जरूरत होती है।
आध्यात्मिक रूप से केवल भूखा रहना या जल न पीना ही काफी नहीं है। इस एक दिन ऐसा जियो जैसे तुम देह नहीं, चेतना हो। मौन रहने का अभ्यास करें वाणी से संयम और मन से शांति मिलेगी।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जप करें। यह चित्त को भीतर की ओर खींचता है।
Nirjala Ekadashi vrat vidhi निर्जला एकादशी व्रत की विधि:
प्रात:काल स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की आराधना करें।
भगवान विष्णु जी को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी अर्पित करें।
पूरा दिन श्री विष्णु व लक्ष्मी जी का मंत्र जाप करते रहें।
लक्ष्मी-नारायण मंत्र: ॐ श्रीं लक्ष्मी-नारायणाय नमः
लक्ष्मी-नारायण ध्यान मंत्र: ॐ लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः। श्री विष्णु लक्ष्मी प्रसन्नं भव। धनं देहि, संपत्तिं देहि, सर्वमंगलं देहि मे
किसी निर्धन को जल, वस्त्र, जूते आदि दान में दें।