Jyeshtha Month festivals 2025: ज्येष्ठ माह में निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा के साथ आएंगे ये प्रमुख व्रत-त्योहार, देखें पूरी List
punjabkesari.in Tuesday, May 13, 2025 - 03:29 PM (IST)

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Jyeshtha Month festivals 2025: 13 मई 2025 से हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ शुरू हो गया है। 1 महीने में बहुत सारे व्रत-त्योहार आने वाले हैं जैसे निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत आदि। इस माह में गर्मी अपने पीक पर होती है, अत: जल दान का विशेष महत्व रहता है। 1 महीने तक जलदान करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य प्राप्त होता है। सूर्य देव की पूजा गभस्ति रूप से की जाती है। आइए जानें ज्येष्ठ माह के प्रमुख व्रत-त्योहार 2025 की पूरी लिस्ट-
नारद जयंती 13 मई 2025: हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। इस दिन ब्रह्मर्षि नारद का जन्म हुआ था। नारद जी को प्रथम पत्रकार भी माना जाता है क्योंकि यह तीनों लोकों में सूचना पहुंचाने का काम करते थे।
वृषभ संक्रांति 15 मई 2025: वृषभ संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने का बहुत महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से मन ही हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुल जाते है।
संकष्टी चतुर्थी 16 मई 2025: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा करने का विधान है। वैशाख मास में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
अपरा एकादशी 23 मई 2025: अपरा एकादशी अजला और अपरा दो नामों से जानी जाती है। इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा का विधान है। अपरा एकादशी का एक अर्थ यह है कि इस एकादशी का पुण्य अपार है। इस दिन व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है। वहीं मनुष्य को ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगा जल से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
शनि त्रयोदशी और प्रदोष व्रत 24 मई 2025 : शनि त्रयोदशी विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए बहुत लाभकारी है, जो शनि के प्रतिकूल प्रभाव से पीड़ित हैं या जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या महादशा चल रही है। इस दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति को उनके कुप्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत 26 मई 2025: ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के पूजन का विधान है। बहुत सारे स्थानों पर वट पूर्णिमा के दिन भी ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दीर्घ सुखद वैवाहिक जीवन हेतु बरगद पूजन करती हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती 27 मई 2025: हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद पुण्यदायी माना गया है क्योंकि बता दें कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती के होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में ये दिन पितरों के साथ शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास है।
निर्जला एकादशी 6 जून 2025: साल भर में 24 एकादशी आती हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्जला एकादशी मानी जाती है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। निर्जला एकादशी सबसे पवित्र एकादशी मानी जाती है। इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। इस व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा 5 जून 2025: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाए जाने का विधान है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन धरती पर मां गंगा अवतरित हुई थीं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी तरह के पाप मिट जाते हैं।
वट पूर्णिमा व्रत 10 जून 2025: ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को रखने से सुहागिनों को सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और संतान और पति की लम्बी उम्र में इजाफा होता है। इसके अलावा जाने-अनजाने में किये पापों से मुक्ति भी मिलती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होता है, जिन युवक और युवतियों का विवाह होते-होते रुक जाता है या फिर उसमें किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही होती है। ऐसे लोग यदि इस दिन श्वेत वस्त्र धारण करके शिवाभिषेक करें और भगवान शिव की पूजा करें तो उनके विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है।