साल के पहले चंद्र ग्रहण पर बन रहा है अशुभ योग, कैसा होगा इसका प्रभाव

punjabkesari.in Saturday, Apr 10, 2021 - 04:50 PM (IST)

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26 मई , 2021 को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दिन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है जिसे वैशाख पूर्णिमा भी कहा जाता है। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि व अनुराधा नक्षत्र में लगेगा और इस दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे होंगे जो उनकी नीच राशि है ।। चंद्रमा के साथ  वृश्चिक राशि में केतु भी होंगे। यानी एक शुभ ग्रह के साथ एक क्रूर ग्रह का कंबीनेशन बनेगा। ज्योतिष में चंद्रमा व केतु के कंबीनेशन को अच्छा नहीं माना जाता। जब चंद्रमा और केतु इकट्ठे हो जाते हैं तो शुभ फल प्रदान नहीं करते।

वर्ष 2021 में कुल चार ग्रहण लगने हैं जिनमें दो सूर्य ग्रहण व 2  चंद्र ग्रहण शामिल हैं। 26 अप्रैल को दोपहर 2:17 से शाम 7:19 तक जब पहला चंद्र ग्रहण लगेगा तो उस समय बुध, राहु, सुर्य और शुक्र ये चार ग्रह वृषभ राशि में ग्रह मौजूद रहेंगे। जबकि शनि मकर राशि में,  मंगल मिथुन राशि में, गुरू मीन राशि में और केतु चंद्रमा के साथ वृश्चिक राशि में मौजूद रहेंगे। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण चूंकि वृश्चिक राशि में पड़ रहा है, इसलिए वृश्चिक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत महत्व होता है। ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी,  सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है । यानी जब पृथ्वी , सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होती है तो चंद्र ग्रहण लगता है। इस स्थिति में पृथ्वी की पूरी या आंशिक छाया चंद्रमा पर पड़ती है। उपच्छाया ग्रहण का अर्थ होता है कि जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा से होकर गुजरता है तो चन्द्रमा पर सूर्य का प्रकाश कुछ कटा हुआ सा पहुंचता है। उपच्छाया की स्थिति में चन्द्रमा की सतह कुछ धुंधली सी दिखाई देने लगती है, यह स्थिति ही उपच्छाया ग्रहण कहलाती है। 26 मई का यह चंद्रग्रहण भी उपच्छाया ग्रहण है।

वर्ष 2021 में जो दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, उनमें से कोई भी ग्रहण भारत में प्रभाव नहीं डाल पाएगा  और यही वजह है कि इन ग्रहणों के दौरान कोई सूतक काल भी नहीं होगा। यानि चारों में से कोई भी ग्रहण देश पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं डाल पाएगा। बता दें कि  26 मई 2021 को दोपहर 2:17 से शाम 7:19 तक जो पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा, वे भारत में दिखाई तो देखा लेकिन यहां यह चंद्रग्रहण केवल उपचाया ग्रहण की तरह दृश्य मान होगा। इसलिए भारत में चंद्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा और यह ग्रहण कोई अशुभ प्रभाव जनमानस पर नहीं छोड़ पाएगा। यह ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में ही पूरी तरह से प्रभावी होगा।

आमतौर पर चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ हो जाता है।  क्योंकि 26 मई को भारत में साल का प्रथम चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण है , इस कारण इसमें सूतक काल भले ही मान्य नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ मामलों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। खास तौर पर छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में ही रहने की सलाह दी जाती है ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सके।  चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा केतु से पीड़ित हो जाएंगे। इसके साथ ही राहु का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। इसलिए चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जप करना चाहिए और भगवान गणेश और भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। 


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Content Writer

Jyoti

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