जानें, कैसे महादेवी वर्मा की हिम्मत ने बदला नेहरू से मिलने का नियम

punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 01:31 PM (IST)

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Inspirational Story: एक बार हिंदी की प्रख्यात साहित्यकार महादेवी वर्मा दिल्ली आईं। दरअसल उन्हें लेखकों के कॉपीराइट से जुड़े मुद्दों पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद से मिलना था। लेकिन अचानक उन्होंने मन बना लिया कि वह मौलाना आजाद से मिलने की बजाय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से ही मिलेंगी। हालांकि महादेवी वर्मा ने इस मुलाकात के लिए समय निश्चित नहीं किया था।

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उस वक्त नेहरू जी तीन मूर्ति भवन में रहते थे। जब महादेवी जी तीन मूर्ति पहुंचीं, तो नेहरू के निजी सचिव ने कहा कि बिना समय लिए उनसे मुलाकात करना संभव नहीं है। निजी सचिव बोले, “यहां तो लोग 10-10 दिन से नेहरू जी की प्रतीक्षा में पड़े रहते हैं।” 

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निजी सचिव की यह बात महादेवी जी को चुभ गई और वह नाराज हो गईं। तुरंत उन्होंने पलटकर कहा, “प्रधानमंत्री नहीं मिल पाते, यह उनकी व्यस्तता का प्रमाण हो सकता है, परंतु जो लोग 10-10 दिन यहां पड़े रहते है, वह तो निश्चित ही यहां पड़े लोगों के निठल्लेपन का प्रमाण है। आप जाकर उन्हें बताएं कि प्रयाग से महादेवी आई हैं, और उन्हें आज ही लौट जाना है। वह उनसे मिलने की प्रतीक्षा में जीवन के 10 दिन खोने की स्थिति में नहीं हैं।” 

जैसे ही जवाहर लाल को यह संदेश मिला, वह स्वयं बाहर आए और महादेवी वर्मा को अपने साथ अंदर ले गए और उनसे कहा, “यहां बैठो, और इलाहाबाद का हालचाल बताओ। तुमसे किसने क्या कह दिया?” 

महादेवी वर्मा ने बाद में बताया कि जवाहर लाल की उन बातों के बाद उनके मन में कोई शिकायत नहीं रही। महादेवी वर्मा ने नेहरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि व्यस्तता के बावजूद जवाहर लाल दूसरों के विश्वास और सुविधा की चिंता करना कभी नहीं भूलते थे।

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Content Editor

Sarita Thapa

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