Malana Village: इस गांव में होती है अकबर की पूजा, नहीं चलता भारत का कानून
punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2023 - 09:48 AM (IST)

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Malana Village: भारत में हर क्षेत्र की अपनी अलग-अलग परंपराएं हैं। ऐसा ही एक अलग परंपराओं वाला गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में है। कुल्लू जिले के मलाणा गांव का अपना अलग ही कानून है। इस गांव में पर्यटकों के कुछ भी छूने पर प्रतिबंध लागू है। यहां लगाए गए नोटिसों में लिखा गया है कि अगर बाहरी लोगों ने यहां की किसी भी चीज को छुआ तो उन्हें 1,000 रुपए जुर्माना भरना पड़ेगा। यह जुर्माना 2,500 रुपए तक लगाया जा सकता है।
मलाणा गांव में यह पाबंदी इतनी सख्ती से लागू है कि बाहर से घूमने आए लोग यहां की दुकानों में रखे सामान तक को नहीं छू सकते। यहां आने वाले पर्यटक खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए भी पैसे दुकान के बाहर रख देते हैं। इसके बाद दुकानदार पर्यटक की बताई चीज दुकान के सामने जमीन पर रख देता है।
Why is it called Little Greece क्यों कहा जाता है ‘लिटिल ग्रीस’
शोधकर्ताओं के मुताबिक, मलाणा गांव का महान योद्धा सिकंदर से सीधा संबंध है। सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व जब भारत पर आक्रमण किया तो उसे पोरस से संधि करनी पड़ी। सिकंदर तो यूनान लौट गया लेकिन उसकी सेना के कुछ सैनिक मलाणा गांव में बस गए। लिहाजा, यहां के लोग खुद को सिकंदर के सैनिकों के वंशज मानते हैं। इसे सिकंदर के सैनिकों का गांव भी कहा जाता है। हालांकि इसके ऐतिहासिक सबूत नहीं मिलते कि ये सिकंदर के सैनिकों का गांव है। यहां की बोलचाल में कुछ ग्रीक शब्दों का इस्तेमाल भी काफी होता है।
Malana has the oldest constitution in the world दुनिया का सबसे पुराना संविधान मलाणा का है
मलाणा गांव की सिर्फ यही एक खासियत नहीं है। यहां का संविधान सबसे पुराना माना जाता है। इनके अपने कानून हैं जो इतने सख्त हैं कि अपराधी खौफ खाते हैं। इसलिए यहां के लोग भारतीय संविधान को नहीं मानते। इसे दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक गांव कहा जाता है। पहाड़ियों से घिरे इस गांव की अपनी संसद भी है। यहां की संसद के छोटे और बड़े दो सदन हैं। बड़े सदन में 11 सदस्य होते हैं। जिसमें गांव वाले 8 सदस्यों का चुनाव करते हैं। बाकी के तीन स्थायी सदस्य कारदार, गुर और पुजारी होते हैं। सदन में हर घर से एक सबसे बुजुर्ग सदस्य होता है।
How does the action of the Parliament कैसे होती है संसद की कार्रवाई
कुल्लू जिले के मलाणा गांव की संसद के बड़े सदन में अगर किसी सदस्य का निधन हो जाता है तो पूरे सदन का दोबारा गठन होता है। इसके अलावा मलाणा गांव में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपना कानून, थानेदार और बाकी प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। मलाणा में संसद की कार्रवाई चौपाल के तौर पर होती है। इसमें बड़े सदन के सभी 11 सदस्य ऊपर की तरफ बैठते हैं जबकि छोटे सदन के सदस्य नीचे बैठते हैं। गांव से जुड़े सभी मसलों का फैसला सदन की कार्रवाई के दौरान ही हो जाता है। अगर सदन किसी मामले में फैसला नहीं ले पाती तो जमलू देवता ही इसका फैसला करते हैं। यहां के लोग जमलू ऋषि को ही देवता मानकर पूजते हैं। गांव के लोगों के लिए इनका फैसला अंतिम होता है।
Miracles of Sage Jamlu and Emperor Akbar ऋषि जमलू के चमत्कार और बादशाह अकबर
भारत में एक समय तक राजा-महाराजाओं, नवाबों और बादशाहों को सिर आंखों पर बैठाया जाता रहा है। आज भी ग्वालियर, जयपुर या दूसरी जगहों के कुछ राजघराने के लोगों को पहले की ही तरह सम्मान दिया जाता है। मलाणा एक ऐसा गांव है जहां आज भी अकबर की पूजा की जाती है। हालांकि, इसका कारण अकबर की महानता नहीं है, बल्कि लोगों के बीच मान्यता है कि बादशाह ने एक बार जमलू ऋषि की परीक्षा लेने के लिए दिल्ली में बर्फबारी करने को कहा। इस पर ऋषि जमलू ने चमत्कार दिखाते हुए बर्फबारी करा दी। इसके बाद से मलाणा के लोग हर साल फागली उत्सव में अकबर की पूजा करते हैं।
Drug trade is rampant नशे का जमकर होता है कारोबार
यह गांव हशीश और चरस के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। दुनियाभर में यहां की चरस को ‘मलाणा क्रीम’ कहा जाता है। मलाणा में होने वाले नशे के कारोबार को रोकना हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। कई अभियानों के बाद भी इस गांव में इस कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगा पाना संभव नहीं हो पाया। इस गांव में एक अजीब परंपरा भी है। अगर दो पक्षों में कोई विवाद हो जाए तो दो बकरे मंगाए जाते हैं। इसके बाद दोनों पक्षों के लाए बकरों के पैर में चीरा लगाकर जहर भर दिया जाता है। इसके बाद जिस पक्ष का बकरा पहले मरता है उसे ही दोषी माना जाता है।