Varalakshmi Vratham: मनचाहे धन को प्राप्त करने का सुनहरी अवसर है वरलक्ष्मी व्रत, बस घर पर करनी होगी ये पूजा
punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 01:44 PM (IST)

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Varalakshmi Vratham 2025: वरलक्ष्मी व्रत एक अत्यंत पावन और शुभ व्रत है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत (तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सावन महीने की पूर्णिमा से पहले आने वाले शुक्रवार को किया जाता है। यह व्रत देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिससे परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और ऐश्वर्य बना रहे। वरलक्ष्मी व्रत 08 अगस्त 2025 को है।
Worship method of Varalakshmi Vrat वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
व्रत से पूर्व करें ये तैयारी
व्रत से एक दिन पहले घर की सफाई करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं। कलश स्थापना करें, कलश में चावल या जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और नारियल रखें।
देवी की मूर्ति या चित्र स्थापना
देवी लक्ष्मी का मुख या मूर्ति स्थापित करें (वरलक्ष्मी मुख विशेष रूप से बाजार में मिलता है)। उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण, फूलों से सजाएं।
Varalakshmi Vrat Puja Material वरलक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री
कुमकुम, हल्दी, अक्षत, पुष्प, फल, मिठाई, पान-सुपारी, दीपक, अगरबत्ती और वरमाला या रक्षा-सूत्र (कांची में इसे “चरदी” कहते हैं)
Varalakshmi Vrat Puja Vidhi वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि
संकल्प लें: अपने गोत्र, नाम और उद्देश्य के साथ कलश और देवी का आवाहन करें। अष्टलक्ष्मी का ध्यान कर उनके नामों का स्मरण करें। आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, और विद्यालक्ष्मी।
देवी को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। रक्षा-सूत्र (चरदी) देवी को अर्पित करें और फिर स्वयं पहनें। व्रत कथा श्रवण करें या पढ़ें। दीपदान और आरती करें। अंत में परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद दें।
Keep some things in mind while worshiping Maa Varalakshmi मां वरलक्ष्मी की पूजा में रखें कुछ बातों का ध्यान
सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को नमन कर सफेद वस्त्र धारण करें, मां लक्ष्मी के श्री स्वरूप एवं चित्र के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें एवं कमल का फूल चढ़ाएं।
लक्ष्मी जी का परम प्रिय फूल कमल माना गया है परंतु लक्ष्मी जी को तुलसी अर्थात मंजरी भेंट नहीं करना चाहिए।
साधना कक्ष में लक्ष्मी उपासना के समय पुष्प उनके सामने, अगरबत्ती बाएं, नैवेद्य दक्षिण दिशा में तथा दीप सदा दाईं ओर रखें।
साधना के समय पश्चिम अथवा पूर्व दिशा की ओर ही मुंह करके बैठें।
हवन सामग्री में काले तिल, जौ, देसी घी, बताशे और कमलगट्टे भी अवश्य मिलाया करें, इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।