4th Mangla Gauri Vrat: मनचाहे पुरुष को हमेशा के लिए अपना बनाना है तो सावन के अंतिम मंगला गौरी व्रत पर करें ये पूजा
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 07:57 AM (IST)

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4th Mangla Gauri Vrat: सावन के अंतिम सोमवार पर रखा गया मंगला गौरी व्रत स्त्रियों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। यह व्रत मुख्यतः शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की स्मृति में रखा जाता है, जिसमें पार्वती जी की उस सिद्ध साधना का स्मरण किया जाता है, जिससे उन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। मंगला गौरी पूजा करने वाली कुमारी कन्याओं को योग्य पति की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाओं के पति की दीर्घायु होती है और उनके प्रेम में वृद्धि होती है। जिनके जीवन में प्रेम अधूरा रह गया है, इस व्रत के प्रबाव से वह उसे पूरा कर सकते हैं।
सावन के अंतिम सोमवार पर इस विधि से करें मंगला गौरी पूजा
पीले या गुलाबी वस्त्र पहनें। एक दीपक जलाकर मां गौरी के चित्र/प्रतिमा के सामने मौन बैठें। मन ही मन तीन बार संकल्प लें:
“हे पार्वती माता जैसे आपने अपने प्रेम को सिद्ध किया, मुझे भी मेरा प्रेम या जीवनसाथी उसी विश्वास से प्राप्त हो।”
मंगला गौरी पूजा समग्री: सफेद चावल, एक सुपारी (गौरी स्वरूप), पीले फूल, 5 बेलपत्र, 16 श्रृंगार की वस्तुएं (कम से कम 5 अनिवार्य)
गुलाब जल मिला हुआ गंगा जल, मिश्री या गुड़
मंगला गौरी पूजा विधि (सुबह 9 से दोपहर 12 के बीच करें):
एक पीले कपड़े पर सुपारी रखकर उसे गौरी का रूप मानें। हल्दी, कुमकुम, अक्षत लगाएं और 5 बेलपत्र चढ़ाएं। इस मंत्र का जाप करें
मंत्र: ॐ ह्रीं गौर्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
मां मंगला गौरी से अपनी मनोकामना कहें लेकिन धीरे से जैसे आप किसी सखी से बात कर रही हों। फिर चुपचाप 5 छोटी कन्याओं को कुछ मीठा और श्रृंगार सामग्री भेंट करें।
रात में करें मां मंगला गौरी की ये रहस्य साधना: गौर-चंद्र ध्यान
समय: रात 10 बजे के बाद
विधि:
खिड़की या छत पर बैठकर चंद्रमा को देखें। 11 बार यह गुप्त मंत्र कहें:
मंत्र: सोमसहिता गौरि, चंद्रेण मम प्रीति संधत्तु
इसके बाद मन में मनचाहे व्यक्ति या प्रेम भावना को महसूस करें जिसे आप चाहते हैं। 1 दीपक जलता हुआ छोड़ दें और मौन से सो जाएं। यह क्रिया आपके अवचेतन मन में प्रेम-आकर्षण ऊर्जा संचारित करती है।
शास्त्रीय लक्षणों से जानें व्रत पूर्ण होने के संकेत:
रात में सपनों में सफेद फूल, चंद्रमा या जल दिखना।
पूजा के बाद कोई मधुर समाचार मिलना।
अगले दिन किसी स्त्री से अचानक मदद मिलना।
मन में अनजाना आनंद या हल्कापन आना।
क्या न करें इस दिन:
किसी से झूठ न बोलें, विशेषकर पुरुषों से।
व्रतधारी महिलाएं सूरज डूबने के बाद श्रृंगार न करें।
मां या सास से बहस न करें।
मनोकामना किसी को न बताएं, विशेषकर जिसको लेकर व्रत किया हो।