Lord Ganesha temple: गणेश जी का वो मंदिर, जहां मन्नत पूरी होने पर बप्पा खुद लेते हैं अपना स्थान

punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Lord Ganesha temple: हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता कहा जाता है। कहा जाता है कि किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले बप्पा की पूजा की जाएं तो हर काम में सफलता मिलती है और हर मन्नत पूरी होती है। ऐसा ही एक गणेश जी का मंदिर सूरत के उधना इलाके में स्थित है। यहां एक ऐसे गणपति विराजते हैं जो ‘मन्नत के बप्पा’ कहलाते हैं। कहते हैं इस परिसर में आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है और मन्नत पूरी होने पर भक्त यहां पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने की जिम्मेदारी उठाते हैं। इस मंदिर में आने वाले किसी भी भक्त की कोई भी कामना खाली नहीं जाती। इसलिए इस स्थल का नाम मन्नत बप्पा पड़ गया है।

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हैरान करने वाली बात तो ये है कि यहां वर्ष 2035 तक गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने वालों की बुकिंग हो चुकी है और वर्ष 2030 तक के नाम भी तय हो चुके हैं। उसके अगले पांच साल के लिए भी लोगों ने अपने नाम दे दिए हैं, जिस पर मंडल विचार करने के बाद अपना निर्णय देगी। यह सिलसिला पिछले 37 सालों से चल रहा है। जहां अन्य मंदिरों में मन्नत पूरी होने पर खजाना, नारियल और बाकि चीजें चढ़ाई जाती हैं लेकिन इस मंदिर में गणपति क्यों स्थापित कराएं जाते हैं।

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दरअसल, 1985 में अंबिका नगर में श्रीगणेश युवक मंडल की स्थापना हुई थी। लेकिन मन्नत के बप्पा की कहानी उस समय शुरू हुई जब अंबिका नगर में ही रहने वाले मनोहर मफतलाल प्रजापति ने बप्पा के सामने बच्चे के लिए मन्नत मांगी और दो साल बाद ही उनके घर में किलकारियां गूंजने लगी। तब 1996 में पहली बार मनोहर ने मन्नत पूरी होने पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। यह बात दूर-दूर तक फैल गई। अब सूरत ही नहीं बल्कि दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र से भी लोग आकर मन्नत मांगने लगे और मन्नत पूरी होने के बाद यहां गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने की जिम्मेदारी उठाने लगे। इसके बाद से ही मंडल को प्री-बुकिंग चालू करना पड़ा।

मन्नत वाले बप्पा की ख्याति शहर में ही नहीं बल्कि शहर से बाहर और अन्य राज्यों में भी फैली हुई है। इसलिए प्रतिमा स्थापित करने वालों की सूची लंबी है। हालांकि मंडल की ओर से कहा जा रहा है कि केवल बप्पा की प्रतिमा ही नहीं, बल्कि आप अन्य चीजें भी गणपति को चढ़ावे के रूप में दे सकते हैं। यही कारण है कि अब लोग लड्‌डू, पेड़ा, चांदी के आभूषण और अन्य चीजें भी चढ़ाने लगे हैं। 

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Content Editor

Sarita Thapa

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