इस मंदिर में जीते-जी मिलता है मोक्ष, लोग खुद आकर करते हैं अपना श्राद्ध
punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 05:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क : हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन दिनों पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। आमतौर पर यह कर्म किसी की मृत्यु के बाद परिवारजन करते हैं, लेकिन बिहार के गया में स्थित जनार्दन मंदिर में एक अलग ही परंपरा देखने को मिलती है। यहां लोग जीवित रहते हुए ही अपना श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।
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क्यों खास है बिहार का जनार्दन मंदिर?
गया का जनार्दन मंदिर भस्मकूट पर्वत पर बना है और पत्थरों से निर्मित यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी खास माना जाता है। यहां भगवान विष्णु जनार्दन रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि यहां जीवित व्यक्ति स्वयं अपने लिए पिंडदान कर सकता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि खासकर पितृपक्ष के दौरान इस मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं और भारी भीड़ उमड़ती है।
कौन कर सकता है अपना जीते-जी पिंडदान?
- हर व्यक्ति जनार्दन मंदिर में अपना श्राद्ध नहीं करता। यह परंपरा खास परिस्थितियों में निभाई जाती है।
- जिन लोगों की संतान नहीं होती और जिनके बाद कोई पिंडदान करने वाला नहीं रहेगा।
- वे लोग जो वैराग्य या संन्यास ले चुके होते हैं।
- कुछ श्रद्धालु जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति पाने के लिए भी यहां यह अनुष्ठान करते हैं।
माना जाता है कि जीते-जी श्राद्ध करने से व्यक्ति के पाप कट जाते हैं और आत्मा को मृत्यु के बाद शांति मिलती है।
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