Konark Sun Temple: भीतर से रेत निकाल कर कोणार्क के सूर्य मंदिर का होगा जीर्णोद्धार
punjabkesari.in Friday, Sep 23, 2022 - 09:50 AM (IST)
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भुवनेश्वर (इं): कलाकृति और संरचना के कलिंग प्रारूप का सबसे जीवंत उदाहरण कोणार्क के सूर्य मंदिर को 1939 में नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया गया था ‘जहां मनुष्य की भाषा पत्थर की भाषा से पराजित हो जाती है।’
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) कोणार्क मंदिर को उसके अद्वितीय व भव्य रूप में पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है। पहले चरण में मंदिर को पूरी तरह से ढहने से बचाने के लिए एक सदी पहले मंदिर में डाले गए रेत के ढेर को हटाया जाना है।
ए.एस.आई. मंदिर के पश्चिम की ओर से उस बिंदु से 5-7 फुट नीचे एक खिड़की खोदेगी जहां ऊपर से रेत जमी है। ऊपर से जमीन तक 14 मीटर की सुरंग बनाई जाएगी जिससे मजदूरों का मंदिर में प्रवेश हो सकेगा। पहले सारी रेत नहीं हटाई जाएगी, बस उतनी ही हटाई जाएगी जिससे कि वे अंदर आ सकें। टेक लगाकर एक आंतरिक कंक्रीट मंच बनाया जाएगा जिससे जगमोहन (मंदिर का वह हिस्सा जिसमें रेत भरी है) के शीर्ष के लिए स्टेनलैस स्टील बनाया जाएगा। इस प्रकार मंदिर के जीणोद्धार का काम आरंभ होगा।