जगन्नाथ भगवान के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी, खुल गए मंदिर के कपाट मगर...
punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2020 - 02:57 PM (IST)

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जैसे कि सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी के चलते देश के लगभग बड़े मंदिर रहे। बल्कि कुछ धार्मिक स्थल तो अभी भी बंद है। तो वहीं कुछ प्राचीन मंदिरों को भक्तों की आस्था को देखते हुए खोल दिया गया है। इसी बीच खबर आई है 20 मार्च से बंद पड़े श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई है। जी हां, खबरों के अनुसार के अनुसार आज यानि 23 दिसंबर दिन बुधवार को श्री जगन्नाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। परंतु खास बात तो यह है कि मंदिर के प्रशासन ने पुरी के निवासियों को केवल 23 दिसंबर से 31 दिसंबर तक भगवान जगन्नाथ के दर्शनों की अनुमति दी है। जिस दौरान मंदिर प्रगांण में आने हर भक्त को कोविड- 19 के मद्देनजर बनाए गए सरकारी गाइडलाईन्स का पालन करना होगा।
यहां जानें इससे जुड़ी अन्य जानकारी-
बता दें कि मंदिर प्रशासन की ओर से 23 दिसंबर से पुरी के लोगों के मंदिर के द्वार खोलने की अपील की गई थी क्योंकि पुरी के निवासी मंदिर के पास रहने पर भी दर्शन न कर पाने की वजह से दुखी थे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख प्रशासक कृष्ण कुमार ने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर एक और दो जनवरी को नये साल पर श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना के मद्देनजर बंद रहेगा लेकिन तीन जनवरी से सभी के लिए खोला जाएगा। जिलाधिकारी बलवंत सिंह ने बताया कि 65 वर्ष से अधिक आयु के श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करने से वंचित रहेंगे। प्रत्येक श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश करने से 48 घंटों के भीतर कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट साथ में लानी होगी। श्रद्धालु सिंहद्वार से प्रवेश करेंगे और अन्य तीन द्वार में से किसी एक द्वार से बाहर निकलेंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को मंदिर के गेट पर अपने हाथों को सैनिटाइज करना होगा। ये प्रणाली सुचारू रूप से चली रही तो अगले वर्ष तीन जनवरी के बाद मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या बढाने की अनुमति दी जाएगी।
जगन्नाथ भगवान के स्वरूप से जुड़ी पौराणिक कथा-
माता यशोदा, सुभद्रा और देवकी जी, वृन्दावन से द्वारका आये हुए थे। रानियों ने उनसे निवेदन किया कि वे उन्हे श्री कृष्ण की बाल लीलाओ के बारे में बतायें। सुभद्रा जी द्वार पर पहरा दे रही थी, कि अगर कृष्ण और बलराम आ जायेंगे तो वो सबको आगाह कर देगी। लेकिन वो भी कृष्ण की बाल लीलाओं को सुनने में इतनी मग्न हो गई, कि उन्हें कृष्ण बलराम के आने का विचार ही नहीं रहा। दोनों भाइयों ने जो सुना, उस से उन्हें इतना आनन्द मिला की उनके बाल सीधे खडे हो गए, उनकी आंखें बड़ी हो गई, उनके होठों पर बहुत बड़ा स्मित छा गया और उनके शरीर भक्ति के प्रेमभाव वाले वातावरण में पिघलने लगे।
सुभद्रा बहुत ज्यादा भाव विभोर हो गयी थी इसलिये उनका शरीर सबसे जयदा पिघल गया (और इसी लिये उनका कद जगन्नाथ के मन्दिर में सबसे छोटा है)। तभी वहाँ नारद मुनि पधारे और उनके आने से सब लोग वापस आवेश में आए।
श्री कृष्ण का ये रूप देख कर नारद बोले कि "हे प्रभु, आप कितने सुन्दर लग रहे हो। आप इस रूप में अवतार कब लेंगे?"
तब कृष्ण ने कहा कि कलियुग में वो ऐसा अवतार लेंगे और उन्होंने ने कलियुग में राजा इन्द्रद्युम्न को निमित बनाकर जगन्नाथ अवतार लिया।