क्या आप वाकिफ़ हैं रामलीला से जुड़ी इन बातों से?

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2019 - 02:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
नवरात्रि के शुरू होते जहां एक तरफ़ मां अम्बे की जय-जय शुरब हो जाती है तो वहीं दूसरी और देश के लगभग हर शहर में रामलीला के मंचन का भी पूरे ज़ोरों-शोरों आयोजन होता है। अपने वेबसाइट के जरिए हम आपको इससे जुड़ी काफी जानकारी दे चुके हैं। आज उसी कड़ी को जोड़ते हुए हम आपके लाएं हैं इससे जुड़ी अन्य जानकारी। आप में से बहुत से लोग होंगे जिन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी कहीं न कहीं रामलीला ज़रूर देखी होगी। मगर यकीनन उनमें से बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें आगे हमारे द्वारा बताई जाने वाले तथ्य पता होंगे। तो चलिए जानते हैं फिर इससे जुड़ी खास बातें-
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मान्यताओं की मानें तो रामचरित मानस के प्रचार-प्रसार के लिए तुलसीदास जी ने रामलीला की शुरूआत की थी। हालांकि तुलसीदास जी की रामलीला के पहले भी राम कथा के गायन और उनके चरित्र के नाट्य स्वरूप का जिक्र मिलता है। जैसा कि बाल्मीकि रामायण में लव कुश रामकथा का गायन करते हैं। इसी तरह महाभारत में तथा हरिवंश पुराण में भी श्री राम के चरित्र को लेकर नाटक का उल्लेख मिलता है।

लीला से है क्या मतलब-
जब भी लीला शब्द का नाम आता है तो हर किसी के ज़हन में सबसे पहला ख्याल भगवान श्री कृष्ण का ख्याल आता है। लेकिन आपको बता दें लीला शब्द का संबंध न कवल श्री कृष्ण से ही है बल्कि ये श्री राम से भी जुड़ा हुआ है। अगर सही मायने में देखें तो ईश्वर के अवातार से जुड़ी ‘लीला’  भारतीय भक्तों की अनूठी परिकल्पना है। जिसमें केवल आनंद ही आनंद है।
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3 प्रकार की होती है लीला
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो लीला का अर्थ होता है लीन होना। जिसके तीन प्रकार बताए गए हैं।
नित्य लीला- कहा जाता है यह लीला प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दिन-प्रतिदिन घट रही है।
अवतार लीला- अवतार लीली में ईश्वर स्वयं मानव मात्र के कल्याण के लिए पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं।
अनुकरण लीला- अनुकरण लीला के जरिए मनुष्य ईश्वर के अवतार का अनुकरण करने का प्रयास करता है। फिर चाहे वह रामलीला हो या रास लीला।
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लीला नहीं ईश्वर की करते हैं साधना
लीला करते समय सिर्फ राम का पात्र निभाने वाला ही नहीं बल्कि रावण की भूमिका में खुद को प्रस्तुत कर रहा व्यक्ति खुद को सौभाग्यशाली समझता है। लीला के दौरान किसी पात्र की भूमिका निभाना उसके लिए ईश्वर की साधना से कम नहीं होता है।
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नाटक नहीं बल्कि धार्मिक अनुष्ठान
रामलीला महज मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि एक धार्मिक अनुष्ठान होता है। जिसमें नियमों और परंपराओं को पूरा पालन किया जाता है। इस दौरान रामायण की चौपाईयां पढ़ी जाती हैं।
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सभी की यही होती है कामना
विश्वभर में प्रस्तुत की जाने वाली रामलीला का आयोजन इसी भावना से किया जाता है कि दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति के घर में राम जैसा पुत्र, सीता जैसी पत्नी, लक्ष्मण जैसा भाई और हनुमान जैसा सेवक अवश्य हो।


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Jyoti

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