Akshaya Tritiya: आज है अक्षय तृतीया, पढ़ें इस व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी
punjabkesari.in Friday, May 10, 2024 - 12:54 PM (IST)
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Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया 2024 का यह बेहद ही शुभ और पावन पर्व वैशाख के महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया या जिसे बहुत सी जगहों पर आखा तीज भी कहते हैं का यह पर्व हिन्दू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए बेहद ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन होता है। अक्षय शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो’। ऐसे में मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यदि व्यक्ति दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करे तो इससे मिलने वाले शुभ फलों की कमी क्षय अर्थात कमी नहीं होती है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन विशेषतौर पर सोने के गहने खरीदने की भी मान्यता है। कहा जाता है अक्षय तृतीया के दिन यदि सोना खरीदा जाये तो इससे व्यक्ति के जीवन पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद, सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
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Akshaya Tritiya muhurat अक्षय तृतीया का मुहूर्त
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया अगर दिन के पूर्वाह्न (प्रथमार्ध) में हो तो उस दिन यह त्यौहार मनाया जाता है।
यदि तृतीया तिथि लगातार दो दिन पूर्वाह्न में रहे तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है, हालांकि कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि यह पर्व अगले दिन तभी मनाया जायेगा जब यह तिथि सूर्योदय से तीन मुहूर्त तक या इससे अधिक समय तक रहे।
तृतीया तिथि में यदि सोमवार या बुधवार के साथ रोहिणी नक्षत्र भी पड़ जाए तो बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।
Akshaya Tritiya fast and worship method अक्षय तृतीया व्रत व पूजन विधि
इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए की वह सुबह स्नानादि से शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण करें।
अपने घर के मंदिर में विष्णु जी को गंगाजल से शुद्ध करके तुलसी, पीले फूलों की माला या पीले पुष्प अर्पित करें।
फिर धूप-अगरबत्ती, ज्योत जलाकर पीले आसन पर बैठकर विष्णु जी से सम्बंधित पाठ (विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा) पढ़ने के बाद अंत में विष्णु जी की आरती पढ़ें।
साथ ही इस दिन विष्णु जी के नाम से गरीबों को खाना खिलाना या दान देना अत्यंत पुण्य-फलदायी होता है।
Note नोट: अगर पूर्ण व्रत रखना संभव न हो तो पीला मीठा हलवा, केला, पीले मीठे चावल बनाकर खा सकते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव अवतार हुए थे। इसलिए मान्यतानुसार कुछ लोग नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव जी के लिए जौ या गेहूं का सत्तू, कोमल ककड़ी व भीगी चने की दाल भोग के रूप में अर्पित करते हैं।
Akshaya Tritiya auspicious time अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त 05:33:11 से 12:17:39 तक
अवधि : 6 घंटे 44 मिनट
Akshaya Tritiya story अक्षय तृतीया कथा
हिन्दू पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण और दानादि करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्य फल का भागी होता है।
प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया। यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था।
Akshaya Tritiya importance अक्षय तृतीया महत्व
अक्षय तृतीया का दिन साल के उन साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है जो सबसे शुभ माने जाते हैं। इस दिन अधिकांश शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी माहात्म्य बताया गया है। जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।
इस दिन पितृ श्राद्ध करने का भी विधान है। जौ, गेहूं, चने, सत्तू, दही-चावल, दूध से बने पदार्थ आदि सामग्री का दान अपने पितरों (पूर्वजों) के नाम से करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण करना बहुत शुभ होता है।
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सोना ख़रीदना इस दिन शुभ होता है।
इसी तिथि को परशुराम व हयग्रीव अवतार हुए थे।
त्रेतायुग का प्रारंभ भी इसी तिथि को हुआ था।
इस दिन श्री बद्रीनाथ जी के पट खुलते हैं।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317