Inspirational Story: किसी के मन को समझना चाहते हैं तो रखें बस एक बात का ध्यान
punjabkesari.in Sunday, May 12, 2024 - 11:17 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: दुनिया के महान दार्शनिकों में से एक सुकरात एक बार अपने शिष्यों के साथ बैठ कर किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे कि तभी वहां एक ज्योतिषी आ गया।
उसने देखा कि कोई भी उस पर विशेष ध्यान नहीं दे रहा है तो उसने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत बड़ा ज्योतिषी हूं। मैं किसी का भी चेहरा देख कर उसके चरित्र के बारे में बता सकता हूं।
बताओ तुम में से कौन मेरी इस विद्या को परखना चाहेगा ?’’ उसकी यह बात सुनकर सभी शिष्य सुकरात की ओर देखने लगे।
सुकरात ने उस ज्योतिषी से अपने बारे में बताने के लिए कहा। ज्योतिषी उन्हें देखने लगा। सुकरात देखने में कुरूप थे।
उन्हें कुछ देर निहारने के बाद ज्योतिषी ने कहा, ‘‘तुम्हारे चेहरे की बनावट से पता चलता है कि तुम सत्ता विरोधी हो। तुम्हारे अंदर द्रोह करने की भावना प्रबल है। तुम्हारी आंखों की बनावट से लगता है कि तुम अत्यंत क्रोधी स्वभाव के हो।’’
अपने गुरु के बारे में ये बातें सुनकर वहां बैठे शिष्यों को गुस्सा आ गया। उन्होंने उस ज्योतिषी को तुरंत वहां से जाने के लिए कहा लेकिन सुकरात ने उन्हें शांत करते हुए ज्योतिषी को अपनी बात पूरी करने के लिए कहा।
ज्योतिषी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे बेडौल सिर और माथे से पता चलता है कि तुम लालची हो। तुम्हारी ठुड्डी की बनावट तुम्हारे सनकी होने की तरफ इशारा करती है।’
ज्योतिषी की ये बातें सुनकर शिष्य और भी क्रोधित हो गए लेकिन सुकरात गुस्सा होने की बजाय मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने ज्योतिषी को ईनाम देकर विदा किया।
सुकरात के इस व्यवहार को देख कर शिष्य उन्हें आश्चर्य से देखने लगे और उनसे पूछा, “गुरु जी हमें आपकी यह बात समझ नहीं आई कि आपने उस ज्योतिषी को ईनाम क्यों दिया जबकि उसने जो कुछ भी कहा वो सब झूठ था ?’’
सुकरात बोले, ‘‘नहीं शिष्यो ज्योतिषी ने मेरे बारे में जो कुछ भी कहा है वे सब सच है। उसके बताए सारे दोष मुझमें हैं। मुझमें लालच है, क्रोध है। उसने जो कुछ भी कहा वे सब कमियां मुझमें हैं लेकिन वह एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया। वह मेरे अंदर के विवेक को नहीं आंक पाया जिसके बल पर मैं इन सारी बुराइयों को अपने वश में किए रहता हूं बस वह यही चूक गया, वह मेरे बुद्धि के बल को नहीं समझ पाया।’’