Muni Shri Tarun Sagar: इस बात की चिंता करें मरने के बाद मेरा क्या होगा?

punjabkesari.in Thursday, May 09, 2024 - 10:21 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

चिंता का साथ
आज का आदमी पत्नी के साथ नहीं बल्कि चिंता के साथ रहता है। पत्नी पति के साथ नहीं बल्कि चिंता के साथ रहती है। मां-बाप बच्चों के साथ नहीं बल्कि चिंता के साथ रहते हैं।

याद रखें : चिंता चिता है और चिंतन चिंता का समाधान। आदमी घर-परिवार, बीवी बच्चों की चिंता करता है पर मेरा कहना है कि अगर चिंता ही करना है तो इस बात की चिंता कर कि मरने के बाद मेरा क्या होगा?

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
ध्यान रखना
दो बर्तन टकराते हैं तो आवाज आती है।

सच है : टकराने से आवाज आती है लेकिन वह आवाज कर्कश हो यह जरूरी नहीं है। यद्यपि टकराव से बिखराव होता है पर संगीत भी तो दो वस्तुओं के टकराने से ही पैदा होता है।

ध्यान रखना : संबोधन अच्छे हों तो संबंध अच्छे होते हैं। क्या तुम्हें नहीं पता कि जब दीवार में दरार पड़ती है तो दीवार गिर जाती है और जब रिश्तों में दरार पड़ती है तो दीवार खड़ी हो जाती है।

बेमतलब की बातें
अक्सर हम बेमतलब की बातें करते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता। जैसे हम कहते हैं आज मौसम कितना अच्छा है। अब यह तो सामने वाले को भी दिख रहा है। विमान में दो यात्री यात्रा कर रहे थे। एक यात्री ने दूसरे से कहा, ‘‘भाई साहब! क्या आप भी इसी विमान में यात्रा कर रहे हैं?’’

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
एडजस्ट करना जरूरी
इसे आप क्या कहेंगे ? हम भी ऐसा ही कर रहे हैं। बस जैसे-तैसे समय काट रहे हैं। अरे पगले ! तू क्या समय को काटेगा, समय ही हर पल तेरी जिंदगी को काट रहा है।

दुनिया में और कुछ आए, न आए कोई हर्ज नहीं पर एडजस्ट करना जरूर आना चाहिए। सामने वाला कैसा भी हो, अगर हमें एडजस्ट करना आता है तो हमें कोई दुखी नहीं कर सकता। सामने वाला नहीं बदलेगा, तुम्हें ही अपने आपको बदलना होगा। तुम दूसरे को बदल भी नहीं सकते और अपने को बदलने के लिए तुम स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक हो। फिर दूसरे को बदलने की कुचेष्टा भी तो एक हिंसा है।

स्वभाव सरल बनाएं
मैंने पूछा, ‘‘स्वर्ग किसे-किसे चाहिए?’’

सबने अपना हाथ ऊपर कर दिया।

मैंने फिर पूछा, ‘‘स्वर्गीय कौन-कौन होना चाहता है? इस बार एक भी हाथ ऊपर नहीं उठा। बस यही जिंदगी का वह विरोधाभास है जो हमें सुख से वंचित रखता है। हम स्वर्ग तो चाहते हैं पर पुण्य के काम करना नहीं चाहते। अगर हम जीते जी स्वर्ग चाहते हैं तो स्वभाव को सरल बनाएं। मीठा भले ही न खाएं स्वभाव मीठा जरूर बनाएं।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News