पाक : 1947 के बाद से बंद पड़े ऐतिहासिक मंदिर को तोड़कर व्यावसायिक इमारत बनाने का काम शुरू

punjabkesari.in Sunday, Apr 07, 2024 - 08:40 AM (IST)

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गुरदासपुर (विनोद): खैबर पख्तूनख्वा के लांडी कोटाल बाजार में 1947 में देश की आजादी के बाद से बंद पड़े ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर एक व्यावसायिक इमारत का निर्माण शुरू किया गया। इस घटनाक्रम के बाद जिला प्रशासन ने मंदिर के विध्वंस के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त की। 

सीमापार सूत्रों के अनुसार लांडी कोटाल बाजार के मध्य में स्थित मंदिर को 1947 में स्थानीय हिंदू परिवारों के भारत चले जाने के बाद बंद कर दिया गया था। कट्टरपंथियों द्वारा संचालित संगठन ने 1992 में भारत के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद इस हिंदू मंदिर को विरोध स्वरूप क्षतिग्रस्त कर दिया था।गत सायं जब साइट पर काम करने वालों से हिंदू समुदाय के लोगों ने मंदिर किसने तोड़ा है, यह पूछा तो उन्होंने बिल्डरों का नाम बताने से इंकार कर दिया। 

लांडी कोटाल के सहायक आयुक्त इरशाद मोहम्मद ने दावा किया कि पूरे लांडी कोटाल बाजार की भूमि राज्य के स्वामित्व में है लेकिन पुराने भूमि राजस्व रिकॉर्ड में हिंदू मंदिर का कोई उल्लेख नहीं है परंतु मंदिर जैसी इमारत जरूर है। उन्होंने कहा कि मंदिर के सामने कुछ पुरानी दुकानों के नवीनीकरण और मुरम्मत के लिए बिल्डर को एन.ओ.सी. प्रमाणपत्र जारी किया गया था। स्थानीय तहसीलदार और पटवारी जमाल अफरीदी ने दावा किया कि उन्हें मंदिर स्थल पर निर्माण गतिविधि की जानकारी नहीं। राजस्व रिकॉर्ड में उस स्थान पर किसी मंदिर का कोई उल्लेख नहीं है।

धार्मिक अल्पसंख्यकों के नेताओं ने मंदिर के विध्वंस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कार्रवाई गैर मुसलमानों के प्रति अंतर धार्मिक सद्भाव और सहिष्णुता को झटका देगा। पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति के हारून सरबदियाल ने जोर देकर कहा कि गैर मुसलमानों के लिए धार्मिक महत्व की ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना जिला प्रशासन व संबंधित सरकारी विभागों की जिम्मेदारी है। उन्होंने सुझाव दिया कि वे स्थान जो या तो अल्पसंख्यकों द्वारा उपयोग नहीं किए जाते या जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं, वे उन्हें सौंप दिए जाने चाहिए ताकि वे उनका रख-रखाव कर सकें और उन्हें भू-माफिया से बचा सकें।


 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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