कैसे हुआ पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म, जानने चाहते हैं तो क्लिक ज़रूर करें
punjabkesari.in Tuesday, Apr 07, 2020 - 12:20 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
08 अप्रैल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि दिन बुधवार को श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की जयंती मनाई जाएंगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही कारण है इस दिन को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन पवनपुत्र कहलाने वाले बजरंगबली की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। धर्म ग्रंथों में हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, इसमें किए उल्लेख के अनुसार इनकी पूजा से केवल इनकी कृपा प्राप्त होती बल्कि इनकी कृपा मात्र से जी जीवन सुखदायी हो जाता है। और चूंकि इन्हें संकटमोचन कहा जाता है तो ज़ाहिर सी बात है कि जिस पर इनकी कृपा होगी उनके जीवन में से समस्त प्रकार के संकटों का टलना तो लाज़मी है। परंतु हनुमान जी कौन हैं? ये किसके अवतार माने जाते हैं? इन्हें अमरता का वरदान कैसे व किस से प्राप्त हुआ? ये ऐसी बातों हैं जो आज भी बहुत लोग नहीं जानते। चो चलिए कोई बात नहीं हम आपको बता देते हैं इन सारे प्रश्नों के उत्तर। जी हां, हम आपको आज अपने इस आर्टिकल के माध्यम से हनुमान जी के जन्म से जुड़ी ऐसी ही कथा बताने वाले हैं जिसमें आपकी उपरोक्त बताए समस्त प्रश्नों के उत्तर मौज़ूद हैं। चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं इस अद्भुत कथा के बारे में-
बजरंगबली के जन्म से जुड़ी अद्भूत कथा-
मान्यताओं व प्रचलित कथाओं के वर्णन के अनुसार तो प्राचीन काल में समुद्रमंथन के उपरांत भगवान शिव जी के निवेदन पर असुरों से अमृत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं की सहायता कर अमृत का पान देवताओं को कराया था। परंतु भगवान विष्णु जी का दिव्य रूप मोहिनी देखकर महादेव कामातुर हो गए, जिससे उनका वीर्यपात हो गया। इसी वीर्य को लेकर वायुदेव ने भगवान शिव जी के आदेश से वानर राज राजा केसरी की पत्नी देवी अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया। जिसके बाद इस देवी अंजनी के गर्भ से वानर रूप में स्वयं भगवान महादेव ने 11 वें रुद्र अवतार हनुमान जी के रूप में जन्म लिया। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीराम जी को अपने आराध्य मान उन्हीं की सेवा में समर्पित किया। कहा जाता समस्त देवताओं ने इनके बाल्यकाल में इन्हें अनेक प्रकार की शक्तियां प्रदान कर इन्हें शक्तिशाली बनाया था तो वहीं श्री राम द्वारा इन्हें अजर अमर रहने का वरदान प्राप्त हुआ था।
यहां जानें इसका दुर्लभ महत्व-
हिंदू धर्म में श्री हनुमान जी को एक दिव्य ईश्वर रूप में पूजा जाता है। हनुमान जयंती का महत्व ब्रह्मचारियों के लिए बहुत अधिक है। हनुमान जी के ऐसे कई नाम हैं जिनके माध्यम से भगवान हनुमान अपने भक्तों के बीच जाने जाते हैं- जैसे बजरंगबली, पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, बालीबिमा, मरुत्सुता, अंजनीसुत, संकट मोचन, अंजनेय, मारुति, रुद्र इत्यादि।
हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिंमा के दिन ब्राह्ममुहूर्त में हनुमान जी की मूर्ति के माथे पर गाय के घी मिले सिंदूर का तिलक लगातार 7 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद लड्डू का भोग प्रसाद लगाना चाहिए। साथ ही हनुमत बीज मंत्र, आरती का गायन करना चाहिए इससे इनकी अपार कृपा प्राप्त होती है।