दिल से लेकर तरक्की के शिखर तक पहुंचाता है भोजन

punjabkesari.in Thursday, Aug 11, 2022 - 02:39 PM (IST)

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अपनी जीवन शक्ति को उच्च स्तर का बनाए रखने के लिए भोजन पर ध्यान देना बहुत जरुरी है। किसी के दिल तक पहुंचना हो या तरक्की के शिखर पर आहार हमें प्राणवान बनाता है। तामसिक व अत्यधिक भोजन से व्यक्ति प्रमादी हो जाता है। भोजन के विषय में आचार्य चाणक्य कहते हैं- यस्तु संवत्सर पूर्ण नित्यं मौनेन भुंजति। युगकोटिसहस्रं तु: स्वर्गलोके महीयते।।

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व्याख्या: जो कोई प्रतिदिन पूरे संवत्-भर मौन रह कर भोजन करते हैं, वे हजारों-करोड़ों युगों तक स्वर्ग में पूजे जाते हैं अर्थात जो व्यक्ति संतोष के साथ जो मिले उसी पर संतुष्ट रहता है, उसे पृथ्वी पर ही स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है। उसे न तो कोई दुख होता है और न ही कोई कष्ट। आचार्य चाणक्य के कहने का तात्पर्य यह है कि भोजन प्रसन्नमुख तथा शांतभाव से करना चाहिए।

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भोजन करने से पहले ध्यान रखें ये बातें
भोजन करने से पूर्व हाथ-पैर, मुंह धोकर जमीन पर पालथी मारकर आसन बिछा कर पूर्व या दक्षिण की ओर मुख करके बैठें। इस प्रकार भोजन करने से यश और आयु में बढ़ौतरी होती है। कुर्सी मेज पर बैठकर, खड़े होकर अथवा जूते पहनकर भोजन नहीं करना चाहिए। 

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी भोजन मौन रह कर करना चाहिए क्योंकि भोजन चबाने से जो लार प्राप्त होता है उससे पाचन सही ढंग से होता है। 

भोजन करते वक्त स्वाद से अधिक पौष्टिकता को महत्व दें।

भूख न होने पर भी भोजन खाने से अन्न का अपमान तो होता ही है साथ ही रोगों को भी आमंत्रण मिलता है। 

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भोजन बनाने वाले व्यक्ति को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें
भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भोजन पकाना चाहिए।
खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी न करें।
शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी।
भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के मंत्र का जप भी किया जा सकता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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