Kundli Tv- यहां जानें भक्ति की कौन सी Category में हैं आप
punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 02:57 PM (IST)

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हिंदू शास्त्रों में योग, ध्यान, तंत्र, ज्ञान, कर्म के अतिरिक्त भक्ति के 9 प्रकार बताए गए हैं, जिसे नवधा भक्ति कहा गया है। तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में नवधा भक्ति के बारे में बताने के लिए भगवान ने शबरी को माध्यम बनाया और इसका वर्णन करने से पहले उन्होंने कहा कि भक्ति करने के लिए जातिभेद, ऊंच-नीच कुछ भी मायने नहीं रखता। आज आपको इस भक्ति को पाने के लिए संक्षेप में बताएंगे।
श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥
अर्थात:- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन। ये 9 तरह की भक्ति की व्याख्या की गई है।
श्रवण- एेसी भक्ति जो प्रभु की कथाओं, लीलाओं, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम श्रद्धा से सुनें और कभी सुन के निराशा न हो, जैसे कि राजा परीक्षित।
कीर्तन- ईश्वर का गुणगान, भजन, उनका नाम और पूरे उत्साह के साथ ुनके नाम का कीर्तन करें। जैसे- शुकदेव महाराज।
स्मरण- भगवान के नामों को सदा भजें, उनकी महिमा और शक्ति को याद करते रहें, जैसे- प्रह्लाद महाराज।
पादसेवन- जो सदा के लिए भगवान के चरणों का आश्रय ले और उनके चरणों का ध्यान करे। जैसे- माता लक्ष्मी।
अर्चन- तन, मन, धन, कर्म से भगवान की भक्ति करे। जैसे- राजा पृथु।
वंदन- भगवान की प्रतिमा का विधि-पूर्वक पूजन करे। अपने माता-पिता, बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार करे। जैसे- अक्रूर।
दास्य- जो भगवान को अपना सब कुछ जानकर और खुद को उनका दास समझ कर सेवा करे। जैसे- हनुमान जी।
सख्य- परमात्मा के समक्ष अपने आप को सख्य भाव में समर्पित कर देना। अपने पाप-पुण्य का लेखा जोखा देना। जैसे- अर्जुन।
आत्मनिवेदन- संसारिक मोह माया से सदा के लिए मुंह फेर लेना, भगवान के चरणों में अपने आप को रखना। जैसे- राजा बलि।
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