Eid- Ul- Fitr 2020: कब मनाई जाएगी ईद, क्यों इस दिन देखा जाता है चांद

punjabkesari.in Saturday, May 23, 2020 - 05:03 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
चांद के दीदार से शुरू हुए रमज़ान के पाक महीने का समापन भी चांद के दीदार से ही होता है। इस्लामिक मान्यताओं की मानें तो रमज़ान के आख़िरी दिन चांद का दीदार किया जाता है, जिसे ईद के नाम से जाना जाता है। इस्लाम धर्म की मानें तो चांद का दीदार करने के बाद अगले दिन मुस्लिम भाई धूम-धाम से ईद मनाते हैं। मगर क्योंकि इस समय देश के साथ-साथ दुनिया कोरोना से जंग लड़ रहा है। इसलिए इस बार मस्जिदों में लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी। ऐसे में हम भी अपनी वेबसाइट के माध्यम से हर किसी को यही हिदायत देंगे कि इस समय जितना हो सके अपने घरों में रहे और कोरोना से अपना बचाव करें और हमारी वेबसाइट के साथ ऐसे ही बने रहे। क्योंकि यहां हम आप तक हर तरह की जानकारी पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे।
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तो चलिए बताते हैं हम आपको ईद से जुड़ी खास बातें-
ईद मनाने की परंपरा
बता दें इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान का महीना नौवां महीना होता है। इस्लाम धर्म के इस पाक माह के खत्म होने के बाद 10वां महीना शव्वाल आरंभ होता है। कहा जाता है मुस्लिम समुदाय में मनाए जाने वालेदो दो त्यौहार ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा खुशियों के पाक त्योहार माने जाते हैं। बताया जाता है रमजान में पूरे महीने रोजे रखने के बाद इसकी समाप्ति के रूप में ईद मनाई जाती है, जिसे अल्लाह से ईनाम लेने का दिन है। बता दें ईद मनाने से पहले एक परंपरा निभाई जाती है जिसे फितरा कहा जाता है। जिसके तहत ईद मनाने वाले  हर मुस्लिम को गरीबों को कुछ अनाज देना ज़रूरी होता है जिससे वह भी खुशी से ईद मना सके।
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सबसे पहले कब मनाई गई थी ईद
इस्लामिक जानकर बताते हैं कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने सन 624 ईस्वी में बद्र युद्ध में शत्रुओं पर विजय हासिल की थी। इसी की खुशी में तब से ईद का त्योहार मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है।
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चांद देखने की परंपरा का रहस्य क्या है
बता दें ईद उल फितर हिजरी कैलेंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती है। इस्लामिल कलेंडर में नया महीना चांद  देखकर ही शुरू होता है। कहा जाता है जब तक चांद न दिखे रमजान खत्म नहीं होता और शव्वाल शुरू नहीं हो सकता। तो वहीं इसका संबंध एक एतिहासिक घटना से भी जुड़ा हुआ है, जिसके अनुसार इसी दिन हजरत मुहम्मद ने मक्का शहर से मदीना के लिए कूच किया था।


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Jyoti

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