Vastu Energy: स्त्री को क्यों माना जाता है घर की लक्ष्मी? जानें महिलाओं से जुड़े शुभ संकेत
punjabkesari.in Thursday, Dec 04, 2025 - 02:53 PM (IST)
Woman As Lakshmi: भारतीय संस्कृति में स्त्री को आदिकाल से ही लक्ष्मी स्वरूपा माना गया है। विवाह के बाद जब नई दुल्हन घर में प्रवेश करती है, तो उसे परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक समझा जाता है। अक्सर लोग कहते हैं— “बहू के कदम घर में पड़े और घर में लक्ष्मी बरसने लगी।” वहीं कुछ परिवारों में परिस्थितियां इसके उलट भी देखने को मिलती हैं। परंतु वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि हर स्त्री स्वयं में शुभ होती है। अंतर केवल उसके सम्मान, व्यवहार और घर के वातावरण में है।

There is a deep connection between the women of the house and Vastu घर की महिलाओं और वास्तु का गहरा संबंध
वास्तु विज्ञान के अनुसार, महिलाएं घर की ऊर्जा, वातावरण और सौभाग्य पर सीधा प्रभाव डालती हैं। पंचतत्वों में से अग्नि तत्व स्त्री शरीर में अधिक सक्रिय माना जाता है, जो ऊर्जा, उत्साह, प्रगति और समृद्धि का आधार है। इसलिए स्त्री का सम्मान करना वास्तव में घर के अग्निकोण और सकारात्मक ऊर्जा को संतुलित करना है।

शास्त्रों में भी स्पष्ट कहा गया है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः”
अर्थ: जहां नारी की पूजा और सम्मान होता है, वहां देवताओं का निवास होता है। यानी जिस घर में स्त्री का मान-सम्मान होता है, वहां बिना किसी वास्तु-दोष शोधन के ही ईशान कोण (उत्तर-पूर्व की दिशा) में सकारात्मक ऊर्जा स्वतः सक्रिय हो जाती है।

Why is it said that only a woman can improve the Vaastu of the house क्यों कहा जाता है कि स्त्री ही घर का वास्तु सुधार देती है?
घर की महिलाएं अधिकतर समय आवास में ही बिताती हैं। उनकी मनोदशा, उनकी ऊर्जा और उनका मानसिक संतुलन सीधे-सीधे घर के वातावरण को प्रभावित करता है। वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि स्त्री की मुस्कान घर में सुख-शांति लाती है। उसका संतोष घर के अग्निकोण के दोष दूर कर देता है। उसका सम्मान शुक्र ग्रह को मजबूत बनाता है, जिससे धन, सौंदर्य और समृद्धि का वास होता है।
इसलिए केवल रसोई को दक्षिण-पूर्व में बनाना या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना ही अग्निकोण की शुद्धि नहीं है। स्त्री का सम्मान अपने-आप अग्निकोण को संतुलित कर देता है।
Why is it important to respect girls and women लड़कियों और कन्याओं का सम्मान क्यों है आवश्यक?
भारतीय परंपरा में कन्या को देवी का रूप माना गया है। मान्यता है कि घर में कन्या का जन्म लक्ष्मी आगमन का संकेत है। यदि उसके जन्म पर आंसू बहाए जाएं, तो लक्ष्मी रूठ जाती है। कन्या को तनाव देना, उसकी उपेक्षा करना या बोझ समझना घर की उत्तर दिशा (धन की दिशा) को कमजोर करता है।
ज्योतिष कहता है कि लड़कियों को खुश रखने से उत्तर दिशा स्वतः हल्की और संतुलित होती है। घर में धन, दौलत और खुशहाली बढ़ती है। स्वास्थ्य और संबंधों में सामंजस्य बना रहता है।
वास्तु और ज्योतिष दोनों इस तथ्य को स्वीकारते हैं कि घर की स्त्री ही घर की वास्तविक ऊर्जा केंद्र है। यदि उसका सम्मान किया जाए, उसे प्रेम और सहयोग मिले, तो घर के दोष स्वतः दूर होते हैं, समृद्धि का आगमन बढ़ता है और परिवार खुशहाल रहता है।
वास्तु शास्त्र का मूल संदेश है, स्त्री का सम्मान करो, सौभाग्य अपने-आप बढ़ेगा।

