Kharmas Food Rules: खरमास में क्यों बदल जाते हैं खानपान के नियम? उड़द और राई से परहेज के पीछे क्या हैं धार्मिक और आयुर्वेदिक वजहें

punjabkesari.in Thursday, Dec 18, 2025 - 11:07 AM (IST)

Kharmas Food Rules 2025-2026: हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र में खरमास (मलमास) को विशेष महत्व दिया गया है। यह काल न केवल शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है, बल्कि खानपान और जीवनशैली में संयम रखने का भी निर्देश देता है। वर्ष 2025-26 में धनु खरमास 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2026 तक रहेगा। इस अवधि में उड़द की दाल और राई (सरसों) का सेवन विशेष रूप से निषिद्ध बताया गया है। इसके पीछे धार्मिक ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं।

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मलमास (खरमास) क्या है और क्यों माना जाता है विशेष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास प्रारंभ होता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। शास्त्रों में यह काल संयम, साधना, जप-तप और आत्मशुद्धि के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
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खरमास में खानपान के नियम क्यों बदल जाते हैं
धार्मिक मान्यता है कि खरमास में सूर्य का प्रभाव मंद होता है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए इस समय सात्विक, हल्का और सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है। मूंग की दाल, चना, जौ, बाजरा, दूध, फल और हरी सब्जियां इस काल में उत्तम मानी जाती हैं।
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उड़द की दाल क्यों नहीं खानी चाहिए
आयुर्वेद के अनुसार उड़द की दाल भारी, तासीर में गर्म और देर से पचने वाली होती है। यह वात और कफ को बढ़ाती है। खरमास में जब शरीर की अग्नि मंद रहती है, तब उड़द का सेवन गैस, अपच, पेट दर्द और आलस्य बढ़ा सकता है। इसलिए शास्त्रों में इसका त्याग करने की सलाह दी गई है।

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राई (सरसों) का सेवन क्यों वर्जित है
राई की तासीर अत्यधिक उष्ण (गरम) होती है। यह शरीर में पित्त दोष को बढ़ाती है और रक्त को उत्तेजित करती है। खरमास में शरीर को शीतल और संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, ऐसे में राई का सेवन असंतुलन और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकता है।

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खरमास: संयम और साधना का काल
धार्मिक दृष्टि से खरमास को विवाद, क्रोध और भोग-विलास से दूर रहने का समय माना गया है। इस दौरान तामसिक भोजन, नशा और अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए।

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खरमास में क्या करें
सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सूर्य को जल अर्पित करें।

ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र या आदित्य हृदय स्तोत्र का जप करें।

दान-पुण्य करें चना, गुड़, तिल, वस्त्र या अन्न का दान शुभ होता है।

सात्विक भोजन और मधुर वाणी अपनाएं।

खरमास केवल निषेध का समय नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर है। सही आहार-विहार अपनाकर इस काल का सदुपयोग किया जाए, तो स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति दोनों संभव हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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