जानिए आचार्य चाणक्य से कैसे मिलती है संतुष्टि?
punjabkesari.in Wednesday, Jul 07, 2021 - 05:37 PM (IST)
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इतना तो सब जानते हैं कि व्यक्ति को सफल होने के लिए परिश्रम करना पड़ता है। बिना मेहनत यानी परिश्रम के व्यक्ति अपने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता। मगर कई बार देखने सुनने में आता है कि कुछ लोग दूसरों की संपत्ति के ऊपर निर्भर रह कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे लोग दूर से देखने में अधिक खुशहाल दिखाई देते हैं परंतु आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता जो दूसरों की संपत्ति पर निर्भर होता है।
इसलिए आचार्य चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति को अपने खुद की सीखी हुई विद्या तथा अपने ही संचित धन को सबसे अधिक महत्व देना चाहिए। क्योंकि बुरे समय में हर किसी के काम केवल उसी की ही हुई विद्या वह धन आता है। आमतौर पर आचार्य चाणक्य कहते हैं कि नौकरी पेशा या कारोबारियों को हमेशा अपने ज्ञान पर ही भरोसा करना चाहिए उर्मिला की कई बार किताबों में लिखी विद्या और उधार पर लिया गया धन व्यक्ति की समस्याओं का पूर्ण समाधान नहीं कर पाता। ऐसे में व्यक्ति को अवसर मिलने पर उस विद्या को सीखने का प्रयास करना चाहिए जो उसकी आजीविका औरन निर्णय की क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो।
अलसी के चलते केवल किताबी ज्ञान या दूसरों से मिले उधार एवं दान के दिन को कभी भी किसी प्रकार के शुभ कार्य में नहीं लगाना चाहिए क्योंकि विद्या वही काम आती है जो मनुष्य नहीं सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा भी काम आता है जो अपने पास संचित हो।
यहां जानें इससे जुड़ी अन्य बातें-
आचार्य के मुताबिक संसार में आज तक कोई व्यक्ति धन जीवन स्त्रियों और खाने पीने की चीजों से संतुष्ट नहीं हुआ और कोई व्यक्ति इन सब चीजों से संतुष्ट हो सकता है। इतिहास पर नजर डाली जाए तो भी इसी बात का ज्ञान प्राप्त होता है कि ऐसी भूख रखने वाले सभी प्राणी अतृप्त ही इस लोक को छोड़ कर गए हैं और मौजूदा समय में भी जो लोग ऐसे सोच रखते हैं वह हमेशा और सिर्फ ही रहते हैं भविष्य में भी यह स्थिति कभी नहीं बदल सकती है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति की शोभा एक हाथ के गहनों से नहीं बल्कि दान देने से आती है निर्मलता चंदन लैब से नहीं शुद्ध पानी से स्नान करने पर आती है ठीक उसी तरह व्यक्ति भोजन कराने से नहीं बल्कि सम्मान देने से संतुष्ट होता है और मुक्ति खुद को सजाने में नहीं आध्यात्मिक ज्ञान जगाने से होती है।