Ramayan: रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका में क्यों रखा, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Friday, Jan 08, 2021 - 06:49 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ramayan: एक बार  की बात है रावण विजय अभियान से लौट रहा था। रावण के पुष्पक विमान पर अनेक अपहृत सुंदरियां सवार थीं जो सभी विलाप कर रही थीं। उनका विलाप सुन कर रावण प्रसन्न हो रहा था। परम साध्वी एक ऋषि पत्नी ने उसे शाप देते हुए कहा, ‘‘यह पापी दुराचार के पथ पर चल कर भी स्वयं को नहीं धिक्कारता। स्त्रियों के हरण का पराक्रम इसकी वीरता के सर्वथा प्रतिकूल है। पर-स्त्रियों के साथ बलपूर्वक दुराचार करने का दोषी रावण भला किस प्रकार पांडित्य का अधिकारी हो सकता है? मैं इसे शाप देती हूं कि पर-स्त्री का अपहरण ही इसके वध का कारण बने।’’

PunjabKesari Ramayan katha
रावण की शक्ति उसी समय से कम होने लगी। वह निस्तेज होने लगा। ऐसी ही स्थिति में रावण ने लंका में प्रवेश किया। वहां और भी दुर्भाग्यजनक समाचार उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे जो आगे जाकर उसके नाश का कारण बने।
 
PunjabKesariRamayan katha
उनमें से एक कारण शूर्पणखा और लक्ष्मण के मध्य हुई घटना, दूसरा विभीषण द्वारा रावण की निंदा करना और यह कहना, ‘‘राक्षसराज! आप पुलस्त्य ऋषि की संतान हैं। पर-स्त्री का अपहरण आपके लिए उचित नहीं। इधर आप पर-स्त्री अपहरण में व्यस्त हैं और उधर बहन कुंभीनसी का अचानक अपहरण हो गया है।’’

यह सूचना पाकर रावण अति क्रोधित हुआ। आप यह स्मरण रखें कुंभीनसी रावण के नाना सुमाली के ज्येष्ठ भ्राता माल्यवान की पुत्री अनला की पुत्री थी। वह लंका में ही निवास करती थी।
 
PunjabKesari Ramayan katha
इस प्रकार रावण भीतर से भयभीत था। फलस्वरूप वह सीता जी के साथ बलपूर्वक व्यवहार नहीं कर सका। रावण की सबसे बड़ी विवशता ऋषि-पत्नियों का शाप था। इसलिए अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे सीता जी सुरक्षित रहीं।
 
PunjabKesari Ramayan katha

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News