हनुमान जी के जन्मस्थान का रहस्य

punjabkesari.in Tuesday, Mar 03, 2015 - 04:24 AM (IST)

शास्त्रानुसार हनुमानजी की माता का नाम अंजना था । जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं । अंजना ब्रह्मा लोक की एक अप्‍सरा थी, उन्हें एक ऋषि ने बंदरिया बनने का श्राप दिया था । श्राप अनुसार जिस दिन अंजना को किसी से प्रेम हो जाएगा, उसी क्षण वह बंदरिया बन जाएगी तथा उनका पुत्र लेकिन उसका पुत्र भगवान शिव का रूप होगा । अंजना अपनी अपनी युवा अवस्था में केसरी से प्रेम करने लगी । जिससे वह वानर बन गई तथा उनका विवाह वानर राज केसरी से हुआ।

पहले जन्मस्थान का मत: माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है । केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे । केसरीजी कपि क्षेत्र के राजा थे । कपिस्थल कुरु साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था । हरियाणा का कैथल पहले करनाल जिले का भाग था । यह कैथल ही पहले कपिस्थल था । कुछ शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है की कैथल ही हनुमानजी का जन्म स्थान है ।

दुसरे जन्मस्थान का मत: गुजरात स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था । मान्यता अनुसार यहीं भगवान राम व लक्ष्मण को शबरी ने बेर खिलाए थे । आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है । डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मानता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का भी जन्म हुआ था । कहा जाता है कि अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न यानि की हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी । माता अंजनी ने अंजनी गुफा में ही हनुमानजी को जन्म दिया था ।

तीसरे जन्मस्थान का मत: धार्मिक मान्यताओं के अनुसान हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिला के आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था । मान्यताओं अनुसान आंजन गांव में ही माता अंजनी निवास करती थी और इसी गांव की एक पहाड़ी पर स्थित गुफा में रामभक्त हनुमान का जन्म हुआ था । इसी विश्वास के साथ यहां के जनजाति भी बड़ी संख्या में भक्ति और श्रद्धा के साथ माता अंजनी और भगवान महावीर की पूजा करते है । यहां बालक पवन सुत हनुमान को माता अंजनी की गोद में लिए हुए एक पत्थर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है ।

चौथे जन्मस्थान का मत: पंपासरोवर'' अथवा ''पंपासर'' होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है । हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है । तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है । यहां स्थित एक पर्वत में एक गुफा भी है जिसे रामभक्तनी शबरी के नाम पर ''शबरी गुफा'' कहते हैं । इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ''मतंगवन'' था। हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है । कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था । मतंग नाम की आदिवासी जाति से हनुमानजी का गहरा संबंध रहा है ।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल kamal.nandlal@gmail.com


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