Anant Chaturdashi: आज इस कथा को पढ़ने से मिलेगा राजयोग का सुख
punjabkesari.in Thursday, Sep 28, 2023 - 06:29 AM (IST)

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Anant Chaturdashi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार आज 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। आज के दिन 10 दिन से चले आ रहे गणेश उत्सव का भी समापन होता है और उनका विसर्जन भी किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन लक्ष्मीपति की पूजा करने से जीवन का हर सुख प्राप्त होता है और हर तरह की परेशानियों से भी निजात मिलता है। किवदंतियों के अनुसार जब पांडवों ने अपना सारा राजपाट खो दिया था तब स्वयं नारायण ने उनको अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने को कहा था। इस व्रत के प्रभाव से ही पांडवों को उनका राज्य वापिस मिला था। इसी के साथ बता दें कि कोई भी पूजा कथा सुनें या पढ़ें बिना पूर्ण नहीं मानी जाती। तो चलिए कथा से पहले जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त।
Anant Chaturdashi Muhurat अनंत चतुर्दशी 2023 मुहूर्त
विष्णु पूजा का मुहूर्त - सुबह 6.12 से शाम 6.49 तक
Anant Chaturdashi Katha अनंत चतुर्दशी व्रत कथा: श्री कृष्ण ने इस व्रत की महिमा को समझाने के लिए सुनाई थी ये कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी दीक्षा के साथ रहता है। उनकी एक बहुत ही सुन्दर कन्या थी जिसका नाम सुशीला था। कुछ समय बाद सुशीला की मां का निधन हो गया। सुमंत ने कर्कशा नामक स्त्री के साथ दूसरा विवाह कर लिया और अपनी बेटी का विवाह कौंडिन्य ऋषि के साथ कर दिया। विवाह के बाद कौंडिन्य ऋषि सुशीला को अपने आश्रम लेकर जा रहे थे, रात होने के कारण वे रास्ते में ही रुक गए।
उस जगह सुशीला ने देखा की कुछ औरतें पूजा कर रही थी। सुशीला उनके पास गई और उस व्रत की महिमा जानने लगीं। महिलाओं ने सुशीला को अनंत चतुर्दशी की महिमा के बारे में बताया। ये सब जानने के बाद वो भी सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने लगी और 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया। उसके पति ने जब इस धागे के बारे में पूछा और सब कुछ जानने के बाद ऋषि कौंडिन्य ने उस धागे को आग में डाल दिया। ये सब देखकर भगवान बहुत रुष्ट हो गए और धीरे-धीरे उनकी सारी सम्पति नष्ट होने लगी।
कुछ समय बाद ऋषि कौंडिन्य अपनी पत्नी के साथ बैठकर दुःख का कारण जानने लगे तो पता चला कि यह सब उस धागे का अपमान करने के कारण हुआ। ऋषि ने अपनी गलती मानी और प्रायश्चित करने निकल पड़े। उस अनंत धागे की प्राप्ति के लिए वो वन में चले गए और भटकते-भटकते जमीन पर गिर पड़े। ये सब देखने के बाद अनंत भगवान प्रकट हुए और कहा तुमने मेरा अपमान किया था, इस वजह से तुम्हें ये सब झेलना पड़ा लेकिन तुम्हारे इस प्रश्चाताप को देखकर में खुश हुआ। भगवान ने ऋषि को 14 साल तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से उनकी धन, संपत्ति वापस लौट आई और जीवन सुखमय हो गया।
जिस तरह अनंत भगवान ने ऋषि कौंडिन्य के दुःख को दूर किया। उसी तरह प्रभु आप सब के दुःख को भी दूर करें और जीवन को खुशहाल बनाएं।
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