भाद्रपद मास की अमावस्या पर होगा कुंडली के इन दोषों का खात्मा

punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2019 - 08:26 AM (IST)

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आज दिनांक 30 अगस्त दिन शुक्रवार को भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि मनाई जाएगी। जिसे कुशग्रहिणी व पिठौर अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई सारे काम किए जाते हैं। अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की प्रदक्षिणा की जाती है. पीपल के वृक्ष पर कच्चे दूध में काला तिल और गंगाजल मिलाकर पितरों की पूजा अर्चना तर्पण आदि किया जाता है। इसके साथ ही आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन कुंडली के दोषों का सफाया किया जा सकता है। बता दें कि इस खास अमावस्या पर पूजा पाठ में सुबह के समय दाएं हाथ से कुशा को जड़ से उखाड़ कर पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। 
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अगर आपके जन्मकुंडली में शनि व राहु-केतु परेशान कर रहा हो तो कुशग्रहिणी अमावस्या पर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अपने पितरों के नाम से तर्पण और दान करना चाहिए।

कुंडली के पापी ग्रहों से मिलेगा छुटकारा पाने के लिए पितरों की पूजा करनी चाहिए।  

कुशग्रहणी अमावस्या के दिन तीर्थस्नान पर जरूरतमंद लोगों को दान तथा जप और व्रत आदि जरूर करना चाहिए।

इस दिन सुबह के समय सूर्यउदय होने से उठे और अपने स्नान के जल में दो बूंद गंगाजल डालकर स्नान करें तथा साफ वस्त्र पहनें।
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एक साफ आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें और एक तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर रखें, उसके बाद लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से गायत्री मंत्र का तीन माला जाप करें।

कहते हैं कि अगर आपके घर में कोई बीमार व्यक्ति है तो उसके नाम से किसी गरीब को भोजन जरूर करवाएं। 

कुशग्रहिणी अमावस्या पर हो सके तो स्नान के जल में एक चम्मच गंगाजल और दूर्वा डालकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर कच्चे दूध में काला तिल और गंगाजल दो लौंग मिश्री मिलाकर पीपल के पेड़ की जड़ में जरूर अर्पण करे।  

इस दिन पितरों के नाम से किसी गौशाला में गाय को चारा जरूर खिलाएं।   


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