Hariyali Amavasya Vrat Katha: पढ़ें हरियाली अमावस्या व्रत कथा, सुनने और पढ़ने मात्र से जीवन होगा आसान
punjabkesari.in Wednesday, Jul 23, 2025 - 01:55 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Hariyali Amavasya Vrat Katha: एक समय की बात है, एक राजा अपने परिवार के साथ महल में खुशी-खुशी रहता था। उसके एक पुत्र की शादी हो चुकी थी। एक दिन राजा की पुत्रवधू ने रसोई में रखी मिठाइयों को देखकर सब कुछ खा लिया। जब उससे पूछा गया कि मिठाई कहां गई, तो उसने कहा कि मिठाइयां तो चूहों ने खा लीं। यह बात चूहों तक पहुंची और वे इस गलत बात से बहुत नाराज हो गए। उन्होंने ठाना कि वे राजा की बहू को उसकी गलती का सबक सिखाएंगे। कुछ दिन बाद, जब महल में कुछ मेहमान आए, तो चूहों ने मौका देख लिया। उन्होंने राजा की बहू की साड़ी चोरी कर ली और उसे मेहमानों के कमरे में रख दिया। सुबह जब सेवक और अन्य लोग उस साड़ी को वहां देखकर हैरान हुए, तो वे राजा की बहू की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने लगे। यह अफवाह तेजी से पूरे गांव में फैल गई।
जब यह खबर राजा तक पहुंची, तो उसने अपनी पुत्रवधू पर शक कर उसे महल से निकाल दिया।
राजा की बहू जब महल से निकाली गई, तो वह एक छोटी सी झोपड़ी में रहने लगी। वहां उसने एक पीपल के पेड़ के नीचे रोजाना दीपक जलाना शुरू कर दिया। वह दिन-रात उस पेड़ की पूजा करती, गुड़धानी का भोग लगाती और आसपास के लोगों में प्रसाद बांटती। कुछ समय बाद एक दिन राजा उसी पेड़ के पास से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि पेड़ के आस-पास सुंदर रोशनी फैल रही है। यह देखकर राजा बहुत आश्चर्यचकित हुए। जब वे महल लौटे, तो उन्होंने अपने सैनिकों को उस रोशनी के रहस्य को जानने के लिए भेजा। सैनिक वहां पहुंचे और देखा कि दीपक आपस में बातें कर रहे थे। हर दीपक अपनी कहानी सुना रहा था। तभी एक दीपक ने कहा मैं राजा के महल का दीपक हूँ। जब से राजा की बहू को महल से निकाल दिया गया है, वह रोज मेरी पूजा करती है और मुझे जलाती है।
जब अन्य दीपकों ने पूछा कि आखिर बहू को महल से क्यों निकाला गया, तो उस दीपक ने बताया कि एक बार बहू ने मिठाई खा ली थी, लेकिन उसने झूठ बोला कि मिठाई चूहों ने खा ली। इस झूठ से चूहे बहुत नाराज़ हुए। बदला लेने के लिए उन्होंने बहू की साड़ी चोरी करके मेहमानों के कमरे में रख दी। जब राजा को इस बात का पता चला, तो उन्होंने अपनी बहू को महल से बाहर निकाल दिया।
यह सुनकर सैनिक भी दंग रह गए। वे महल वापस गए और राजा को पूरी घटना विस्तार से बताई। राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ और अपनी बहु को पूरे सम्मान के साथ वापिस बुला लिया।