Kundli Tv-  जानें, क्या आज भी जीवित हैं अमरनाथ गुफा में ये दो कबूतर

punjabkesari.in Tuesday, Jul 03, 2018 - 02:56 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
कश्मीर घाटी में स्थित श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में प्रतिवर्ष बर्फ से बनने वाले प्राकृतिक हिमशिवलिंग की पूजा की जाती है। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने शिव धाम की प्राप्ति करवाने वाली परम पवित्र ‘अमर कथा’ भगवती पार्वती को सुनाई थी। यहां विस्तार में जानें इस कथा के बार में-

PunjabKesari
हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार एक बार जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि देव आप अजर अमर हैं लेकिन मुझे हर एक जन्म के बाद एक नए स्वरूप में धरती पर आकर वर्षो की कठोर तपस्या करने के बाद आपको प्राप्त करना पड़ता है। आखिर ऐसा क्यों? 


माता पार्वती के इस सवाल का जवाब देने के लिए भगवान शिव ने उन्हें एक एकांत और गुप्त स्थान पर ले गए और एक कथा को सुनने को कहा। ताकि कोई भी अन्य जीव या प्राणी उनकी अमर कथा को न सुन सके। क्योंकि अगर कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता तो ऐसे में वह हमेशा के लिए अमर हो जाता।
PunjabKesari

पुराणों की मानें तो भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए जिस गुफा में लेजाया वहीं गुफा अमरनाथ गुफा के नाम से प्रसिद्ध हुई। यहां आकर भगवान शंकर ने उन्हें अपनी साधना की अमर कथा सुनाई। इसी आज के समय में अमरत्व के नाम से जाना जानता है। 
 

कहा जाता है कि भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम में छोड़ दिया, जटाओं से चंद्रमा को चंदनबाड़ी में अलग कर दिया, गंगा जी को पंचतरणी में छोड़ने के बाद कंठभूषण सर्पों को उन्होंने शेषनाग में छोड़ दिया। अपने कंठभूषण सर्पों को शेषनाग में छोड़ देने की वजह से आज उस जगह का नाम शेषनाग पड़ा।
PunjabKesari

इन सभी चीजों को त्यागने के बाद अगले पड़ाव पर भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया। जिस स्थान पर भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को छोड़ा था उस स्थान को आज महागुना के पर्वत के नाम से जाना जाता है। 


बता दें कि भगवान शिव ने पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी अपने शरीर से अलग कर दिया था। इस प्रकार भगवान शिव ने जीवन दायिनी पांचों तत्व को अलग-अलग जगह पर अपने शरीर से अलग कर दिया। अपने शरीर से सभी चीजों को अलग कर देने के बाद भगवान शिव गुप्त गुफा में प्रवेश कर गए और उन्होंने माता पार्वती को अमर कथा सुनानी शुरू कर दी।
PunjabKesari

अमर कथा सुनाते वक्त माता पार्वती को बीच में ही नींद आ गई। नींद आने के बाद माता पार्वती वहीं पर सो गई। माता पार्वती के बीच में सो जाने की बात भगवान शिव को पता नहीं चली और भगवान शिव अमर होने की कहानी को सुनाते चले गए। उसी बीच दो सफ़ेद कबूतर शिव जी की इस कथा को उस गुफा में बैठकर सुन रहे थे। परंतु शिव जी को यह बात पहले मालूम नहीं चली कि वहां उनके अलावा दो कबूतर भी मौजूद हैं। वहां मौजूद उन दोनों कबूतरों ने भगवान शिव के द्वारा सुनाई जा रही अमर होने की कथा को पूरा सुन लिया।
PunjabKesari

जब कथा समाप्त हो गई और शिव जी का ध्यान पार्वती की ओर गया तो उस दौरान महादेव की दिव्य दृष्टि कबूतरों के ऊपर पड़ी। कबूतरों को देखने के बाद भगवान शिव काफी ज्यादा क्रोधित हो गए। क्रोध के मारे भगवान शिव उन कबूतरों को मारने के लिए दौड़े। तभी उन कबूतरों ने भगवान शिव के सामने कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कहानी सुनी है। ऐसे में अगर आप हमें मार डालते हैं तो आप की यह कथा गलत साबित हो जाएगी। जिसके बाद भगवान शिव ने उन कबूतरों को छोड़ दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम हमेशा इस स्थान पर माता पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप में निवास करोगे। कबूतरों के इस जोड़े के अमर हो जाने के बाद आज भी इस जोड़े का दर्शन अमरनाथ जाने वाले यात्रियों को हुआ करते हैं।
Kundli Tv- मां लक्ष्मी की ये तस्वीर बना देती है कंगाल (देखें VIDEO)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News