क्या आपकी भी कथनी और करनी में अंतर है?

punjabkesari.in Thursday, Aug 13, 2015 - 10:18 AM (IST)

ईर्ष्या करने वालों को कभी भी ईश्वर नहीं मिलता। ईश्वर सदैव मन की निर्मलता से प्राप्त होता है। ईर्ष्या करनी ही है तो टाटा, बिरला, डालमिया से करो ताकि उनकी होड़ करते-करते उनसे आगे नहीं तो उनकी बराबरी में पहुंच सको। सड़क छाप से ईर्ष्या करके क्या पाओगे? यह संसार दोगली नीति से चलता है। इसने अपनी दोहरी नीति अपना रखी है। कथनी-करनी का भेद वर्तमान समय में सारी विसंगतियां और विषमताएं पैदा कर रहा है। जीवन में कथनी और करनी का अंतर मिटाए बिना जीवन की सार्थकता प्राप्त नहीं होगी। 

वर्तमान का भ्रष्टाचार और बेईमानी मिलावट की देन है। पदार्थों की मिलावट से कहीं ज्यादा खतरनाक विचारों की मिलावट है। मेरी नजर में पदार्थ की मिलावट से जीवन इतना बर्बाद नहीं होता उससे कहीं ज्यादा बर्बादी विचारों की मिलावट से होती है। एक आदमी बाजार से जहर लाकर उसे जीवन से निजात पाने की उम्मीद के साथ खाकर सो गया। दूसरे दिन वह बड़े आराम से उठा। अगले दिन वह मिठाई की दुकान से कुछ पेड़े ले आया, दो-चार पेड़े खाए और सो गया। बेचारा आज तक नहीं उठा। ये हाल हैं आज के मिलावट भरे जमाने के। पदार्थों की मिलावट एक बार तो चल जाए, लेकिन विचारों की मिलावट से जीवन में जो जहर घुलता है उसका कोई उपचार नहीं।

आज के इंसान ने अपने चेहरे पर कई चेहरे लगा रखे हैं। एक चेहरा हो तो उसे पहचाने। इसने तो प्याज के छिलके की तरह चेहरे पर चेहरा, उस पर फिर चेहरा और उस पर एक बार फिर चेहरा लगा रखा है। असली चेहरे का पता ही नहीं चलता। आज के आदमी ने जिन्दगी जीने के लिए कसौटी भी दोहरी अपना रखी है। अपने लिए कुछ और दूसरों के लिए कुछ और। अपना बेटा इंजीनियर बन जाए तो उसकी मेहनत और योग्यता में कसीदे पढऩे लगता है और पड़ोसी का बेटा इंजीनियर बन जाए तो कहते हैं-घूस देकर बना होगा।  


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