इन 5 बड़े कारणों के चलते हुआ बैंकों का विलय, होंगे कई फायदे
punjabkesari.in Saturday, Aug 31, 2019 - 09:29 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः 2017 में स्टेट बैंक का विलय करने के बाद अब 2019 में सरकार ने दूसरी बार बैंकों के विलय का फैसला किया है। इस ताजा विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की कुल संख्या 12 रह जाएगी जो मोदी सरकार के आने से पहले 27 थी। बैंकों के इस विलय की कवायद के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर बैंकों के विलय का फैसला क्यों लिया जा रहा है? हालांकि बैंकों के विलय की कई चुनौतियां भी हैं और विलय के बाद बैंकों के स्टाफ की एडजस्टमैंट के अलावा छोटे बैंकों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स को मैनेज करना इन चुनौतियों में शामिल है लेकिन इसके बावजूद मोटे तौर पर इस फैसले से बैंकिंग सैक्टर में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
बैंकों के विलय का कारण
- सबसे बड़ा कारण बैंकों का आपसी कंपीटिशन है। सारे सरकारी बैंक आपसी प्रतिस्पर्धा में जुटे हैं और एक ही कस्टमर के लिए अलग-अलग बैंक अपने संसाधन और कर्मचारी को खपाते हैं। मर्जर से ऐसी स्थिति से बचा जा सकेगा।
- बैंकों की संख्या कम होने और विलय होने से ऑप्रेशनल कॉस्ट में कमी होगी जिससे सरकार को बचत होगी।
- छोटे बैंकों के पास विशेषज्ञ कर्मचारियों की कमी होती है, लिहाजा बड़े बैंकों के साथ विलय के बाद इन विशेषज्ञों की सेवाएं छोटे बैंकों को भी मिलती हैं।
- विलय के बाद बैंकों का कैपिटल बेस बढ़ जाता है, लिहाजा सरकार को बैंकों की वित्तीय मदद की जरूरत नहीं पड़ती।
- बैंकों में बड़े पदों पर बैठे अफसरों का वेतन लाखों में होता है, लिहाजा बैंकों के एक हो जाने से ये पद समाप्त होते हैं और सरकार का पैसा बचता है।
बैंकों को मिलेगी 55,250 करोड़ रुपए की पूंजी
सीतारमण ने क्रैडिट ग्रोथ तथा विनियामकीय अनुपालन के लिए बैंकों में 55,250 करोड़ रुपए की पूंजी डालने की भी घोषणा की है। बैंकों की इस प्रकार मिलेगी पूंजीः
- पंजाब नैशनल बैंक- 16,000 करोड़ रुपए
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 11,700 करोड़ रुपए
- बैंक ऑफ बड़ौदा- 7,000 करोड़ रुपए
- केनरा बैंक- 6,500 करोड़ रुपए
- इंडियन बैंक- 2,500 करोड़ रुपए
- इंडियन ओवरसीज बैंक- 3,800 करोड़ रुपए
- सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया- 3,300 करोड़ रुपए
- यूको बैंक- 2,100 करोड़ रुपए
- यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया- 1,600 करोड़ रुपए
- पंजाब एंड सिंध बैंक- 750 करोड़ रुपए
सार्वजनिक बैंकों का NPA गिरकर 7.9 लाख करोड़ रुपए
सीतारमण ने कहा कि बैंक का कुल फंसा कर्ज (एनपीए) दिसम्बर 2018 के अंत में 8.65 लाख करोड़ से घटकर मार्च 2019 अंत में 7.9 लाख करोड़ रुपए रह गया। आंशिक ऋण गारंटी योजना के क्रियान्वयन से गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एन.बी.एफ.सी.) और आवास वित्त कम्पनियों के लिए पूंजी आधार में सुधार आया है। 3,300 करोड़ रुपए की पूंजी डाली जा चुकी है और अतिरिक्त 30,000 करोड़ रुपए देने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरू किए गए सुधारों का परिणाम दिखने लगा है। 2019-20 की पहली तिमाही में उनमें से 14 बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों में नीरव मोदी जैसी धोखाधड़ी रोकने के लिए स्विफ्ट संदेशों को कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है।