तेजी पर सवार भारतीय बाजार की 2023 में कुंद पड़ेगी धार!

punjabkesari.in Monday, Dec 26, 2022 - 01:04 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः वर्ष 2022 भारतीय शेयर बाजार के लिए खास रहा है। इसने तमाम बाधाओं के बीच तेजी जारी रखी और वैश्विक बाजारों की तुलना में अधिक बढ़त दर्ज करने में भी सफल रहा। मगर आने वाला समय देसी बाजार के लिए उतार-चढ़ाव वाला रह सकता है और कम से कम 2023 की पहली छमाही में हालात शायद उत्साजनक नहीं रहें। शेयरों की ऊंची कीमत, वैश्विक चुनौतियां और आगे तेजी की गुंजाइश फिलहाल खत्म होने से बाजार की चाल सुस्त रह सकती है।

सेंसेक्स 2.7% और निफ्टी 2.6% बढ़ा

दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार ब्याज दर बढ़ोतरी, मौद्रिक नीति की सख्ती और चीन में कोविड संक्रमण में तेजी से भारतीय बाजार को अपनी बढ़त गंवानी पड़ी है। दिसंबर में अपने सर्वकालिक स्तर पर पहुंचने के बात सेंसेक्स 5.7 प्रतिशत और निफ्टी 5.6 प्रतिशत तक फिसल चुके हैं। फिर भी इस साल अब तक सेंसेक्स 2.7 प्रतिशत और निफ्टी 2.6 प्रतिशत बढ़त दर्ज करने में सफल रहे हैं।

वैश्विक बाजारों की बात करें तो उनके लिए वर्ष 2022 कठिन रहा है। अमेरिका और यूरोप में आसमान छूती महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध से आपूर्ति व्यवधान और कोविड महमारी के दौरान नीतिगत स्तर पर किए गए राहत उपायों की वापसी से वैश्विक शेयर बाजारों की चाल सुस्त पड़ गई है। ऊंची महंगाई दर से घबराकर दुनिया के केंद्रीय बैंकों को आर्थिक वृद्धि दर की चिंता किनारे रख ब्याज दरें बढ़ाने पर विवश होना पड़ा।

वैश्विक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियों की वजह से निवेशक भारत की नहीं दुनियाभर के बाजारों से अपनी रकम निकालने लगे। मगर घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ी बेहतर संभावनाओं और घरेलू निवेशकों की पूंजी के दम पर भारतीय बाजार वैश्विक उथल-पुथल से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुए और सेंसेक्स तथा निफ्टी दोनों ही अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।

आने वाले दिनों और महीनों में वैश्विक बाजार की दिशा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदमों पर निर्भर करेगी। मगर अमेरिका के नए आर्थिक आंकड़े देखकर यही लगता है कि बाजार को उम्मीद से ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। नए आर्थिक आंकड़ों के बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें और बढ़ा सकता है।

2023 की पहली छमाही में दरों में बढ़ोतरी थमने की संभावना कम 

क्रेडिट सुइस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘महंगाई नरम पड़ने के संकेत आए तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला रोक सकता है और शेयरों में तेजी दिख सकती है। मगर 2023 के पहले छह महीनों में दरों में बढ़ोतरी थमने की संभावना कम ही लग रही है। हमारे अर्थशास्त्रियों के अनुसार अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित दुनिया के तमाम केंद्रीय बैंक शायद ही ब्याज दरों में कमी करेंगे।’ वैश्विक शेयरों में कुछ सुधार होने की हालत में 2022 में भारी बिकवाली झेल चुके शेयर बाजारों में हालात सुधर सकते हैं। इससे उन्हें भारतीय बाजार के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी।

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवा देने वाली कंपनी वैलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्द्धन जयपुरिया ने कहा, ‘दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार में शेयरों का मूल्यांकन काफी अधिक है। इस साल भारतीय बाजार बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल रहा है मगर अगले साल इसका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रह सकता है। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक एवं सलाहकार जी चोकालिंगम का कहना है कि वैश्विक स्तर पर हालात सुधरने का सीधा मतलब यह होगा कि तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी। चोकालिंगम के अनुसार इससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है। बाजार से जुड़े कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भारतीय बाजार में पहले ही काफी तेजी दिख चुकी है और अब गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है।

निर्यात में आ सकती है कमी 

नोमुरा की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री (भारत एवं एशिया) सोनल वर्मा कहती हैं, ‘हमें लगता है कि दुनिया में उत्पन्न हालात के बीच आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) पूर्व के अनुमान 6.7 प्रतिशत से कम होकर 2023 में 4.5 प्रतिशत रह सकती है। ज्यादातर लोग जीडीपी वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रहने की बात कह चुके थे।‘ विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में कमी 2023 में भारत की आर्थिक प्रगति पर असर डाल सकती है। विश्लेषकों के अनुसार वैश्विक हालात बिगड़ने की आशंका से खासकर पहली छमाही में निर्यात में कमी आ सकती है।

नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'निजी क्षेत्र से निवेश उत्साहजनक नहीं रहा है। ऐसे में दुनिया में अस्थिरता और कमजोर आर्थिक हालात के बीच निजी क्षेत्र की निवेश से जुड़ी योजनाओं पर और बुरा असर हो सकता है। इससे नए संसाधन तैयार करने की गति और धीमी पड़ सकती है। ब्याज दरों में बदलाव से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों पर पर भी असर होगा।' मगर 2024 में आर्थिक वृद्धि को बेहतर संभावनाओं को देखते हुए अगले साल की दूसरी छमाही भारतीय शेयरों के लिए अधिक अनुकल रह सकती है।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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