अलॉय प्रोडक्ट्स की आड़ में हो रहा सोने का इम्पोर्ट, सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान

punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2024 - 04:54 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः प्लैटिनम और दूसरी धातुएं मिलाकर बनाई गई चीजों की आड़ में कम आयात शुल्क चुकाकर गोल्ड इंपोर्ट किया जा रहा है। इन अलॉय प्रोडक्ट्स को गलाकर सोना निकाला जा रहा है और उसे डिस्काऊंट पर बेचा जा रहा है। इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

इस शिकायत के साथ ऑल इंडिया जूलर्स एंड गोल्डस्मिथ फैडरेशन (AIJGF) ने कॉमर्स मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर मांग की है कि जिन चीजों में 5 प्रतिशत से अधिक गोल्ड मिला हो, उनके लिए गोल्ड कंटैंट के हिसाब से अलग इंपोर्ट ड्यूटी तय की जाए। कीमती धातुओं के ड्यूटी स्ट्रक्चर को लेकर थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जी.टी.आर.आई.) ने भी चिंता जताई है।

एआईजेजीएफ के नैशनल जनरल सैक्रेटरी नितिन केडिया ने कहा कि हाल के दिनों में प्लैटिनम अलॉय का इंपोर्ट काफी बढ़ा है, जिसमें असल में 88 प्रतिशत तक गोल्ड मिला होता है। गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 प्रतिशत है लेकिन ऐसे अलॉय पर 5 प्रतिशत है। केडिया ने कहा, "इसमें टैक्निकल तौर पर हो सकता है कि कुछ भी गलत न हो लेकिन यह टैरिफ रैगुलेशंस को किनारे करने वाली बात है। इससे सरकार को रैवेन्यू लॉस भी हो रहा है।"

घरेलू इंडस्ट्री पर क्या हो रहा असर?

नितिन केडिया ने कहा, "इसके जरिए इंपोर्टेड गोल्ड की कॉस्ट आर्टिफिशियल तरीके से घटाई जाती है और इसका बुरा असर डोमैस्टिक गोल्ड इंडस्ट्री पर पड़ रहा है क्योंकि ऐसी हरकत करने वाले बुलियन डीलर रिफाइंड गोल्ड बेचते समय डिस्काऊंट दे रहे हैं। इससे वैध तरीके से गोल्ड इंपोर्ट करने वालों के लिए मुश्किल हो रही है।" 

केडिया ने कहा, "फैडरेशन ने कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल से मांग की है कि 5 प्रतिशत से अधिक गोल्ड कंटैंट वाले किसी भी आइटम के लिए उसमें गोल्ड कंटैंट के आधार पर एक अलग इंपोर्ट ड्यूटी तय की जाए।"

इंडस्ट्री के सामने क्या है मुश्किल?

जी.टी.आर.आई. ने चिंता जताई है कि UAE से फ्री ट्रेड एग्रीमैंट के तहत बड़ी मात्रा में कीमती धातुओं का आयात हो रहा है। इंडिया-यूएई कॉम्प्रिहैंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमैंट में यूएई से अभी 5 प्रतिशत ड्यूटी पर गोल्ड इंपोर्ट हो सकता है लेकिन आने वाले 3 वर्षों में ड्यूटी इस शर्त के साथ जीरो हो जाएगी कि अलॉय में 2 प्रतिशत प्लैटिनम मिला हो। वित्त वर्ष 2023-24 के इंपोर्ट के आंकड़ों को देखते हुए सी.ई.पी.ए. के तहत गोल्ड और सिल्वर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट से सालाना 63,375 करोड़ रुपए के रैवेन्यू लॉस होने का अनुमान है। उसने कहा कि इससे देश की जूलरी इंडस्ट्री को भी मुश्किल होगी।


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Content Writer

jyoti choudhary

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