FPI की ''सेल ऑन राइज'' स्ट्रैटेजी, 6 दिन में विदेशी निवेशकों ने बेचे ₹11500 करोड़ के शेयर

punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2025 - 02:07 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः पिछले साल दिसंबर 2024 के पहले हफ्ते को छोड़ अक्टूबर से शुरू हुई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की बिकवाली इस साल जनवरी में भी जारी रही। जनवरी के पहले छह कारोबारी दिनों में ही FPIs ने 11,500 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध बिक्री की है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन और भारत में आर्थिक सुस्ती की आशंका के कारण विदेशी निवेशक तेजी से शेयर बेच रहे हैं। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में टैरिफ नीतियों की अनिश्चितता और HMPV वायरस के बढ़ते मामलों ने भी बिकवाली पर दबाव डाला है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान 12,600 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की, जबकि खुदरा निवेशकों ने 2,770 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

FPI की 'सेल ऑन राइज' स्ट्रैटेजी

दिसंबर में एफपीआई ने सेकंडरी मार्केट से 2,590 करोड़ रुपए की निकासी की और प्राइमरी मार्केट में 18,000 करोड़ रुपए डाले यानी कि लिस्टेड मार्केट में 2590 करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री की। अक्टूबर में बिकवाली अपने चरम पर थी, जब एफपीआई ने सेकंडरी मार्केट में 1.14 लाख करोड़ रुपए के शेयरों की बिक्री की, जबकि प्राइमरी मार्केट में 19,840 करोड़ रुपए डाले। दिसंबर 2024 के पहले हफ्ते में एफपीआई का रुझान पलटा था और उन्होंने सेकंडरी मार्केट में खरीदारी शुरू की थी लेकिन फिर बिकवाली शुरू कर दी। इस साल 2025 की शुरुआत में मार्केट में तेजी का एफपीआई ने फायदा उठाया और फिर बिकवाली तेज की।

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, एफपीआई का ध्यान कंपनियों की कमाई पर बना हुआ है और विभिन्न वैश्विक और स्थानीय कारकों के चलते सुस्ती बनी हुई है। चीन में एचएमपीवी वायरस के मामलों के बढ़ने से बिकवाली का माहौल और बढ़ा है। उनका मानना है कि जब तक इन मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, एफपीआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है।

वहीं, सरकार ने इस वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.4% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो चार साल में सबसे कम है। आईएमएफ का मानना है कि भारत की जीडीपी वृद्धि अगले कुछ वर्षों तक 6.5% के आसपास रहेगी। इसके अलावा नुवामा रिसर्च के अनुसार, इस तिमाही में निफ्टी की आय में महज 2% की वृद्धि हो सकती है, जो कि पिछले वर्ष की पहली छमाही से कम है। अब विदेशी निवेशकों का ध्यान बजट पर रहेगा, जिसमें सरकारी खर्च बढ़ने की संभावना है और खपत को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Related News