ईरान पर प्रतिबंध के लिए भारत ने बड़ा त्याग किया: अमरीका

punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2015 - 04:26 PM (IST)

वाशिंगटन: अमरीकी प्रशासन ने स्वीकार किया है कि भारत ने ईरान पर प्रतिबंध लागू करने के लिए ''बड़ा त्याग'' किया है और यदि अमरीकी कांग्रेस ईरान के साथ अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते में अड़ंगा डालती है तो भारत जैसे देशों के लिए उस पर पाबंदी जारी रखने का ''कोई औचित्य'' या ''रुचि'' नहीं रह जाएगी।  

व्हाइट हाऊस के प्रेस सचिव जॉश अर्नस्ट ने कहा कि राष्ट्रपति (बराक आेबामा) ने कहा है कि अमरीका और ईरान में हुए समझौते को 99 प्रतिशत दुनिया का समर्थन है। उन्होंने कहा कि अमरीकी संसद यदि इस समझौते को एकतरफा तरीके से खत्म करने का कार्य करेगी तो उससे अमरीका की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा और भारत जैसे देशों के लिए ईरान पर प्रतिबंध जारी रखने की कई ''रुचि'' या ''प्रोत्साहन'' नहीं रह जाएगा।   

अर्नस्ट ने कहा कि राष्ट्रपति आेबामा ने ईरान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय पाबंदी लागू करने के लिए अपनी तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को विशेष रूप से भारत भेजा था। उसके बाद भारत ने ईरान से तेल का आयात कम कर दिया था और उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा। व्हाइट हाऊस (अमरीकी सत्ता प्रतिष्ठान) ने इस तथ्य को स्वीकार किया है।   

अर्नस्ट ने कहा कि तीन चार साल पहले जब ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाए गए तो अमरीका भारत सहित पूरी दुनिया में गया। भारत सरकार से बात की और उससे कहा कि वह ईरान से तेल की खरीद कम करे। "उन बातों के संदर्भ में हमने स्वीकार किया कि यह भारत के लोगों और वहां की अर्थव्यवस्था के लिए एक आर्थिक त्याग करना होगा।" 

भारत के नेता यह कहते हुए इसके लिए तैयार हुए कि यदि इससे कूटनीतिक तरीके से ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने में अमरीका के प्रयासों को बल मिलता है तो वे इसके लिए तैयार हैं। इस तरह भारत जैसे देश अपनी लागत पर यह कदम उठाने को सहमत हुए थे ताकि एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सहमति बन सके।


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