एक ट्रिलियन डॉलर होगा भारत का एक्सपोर्ट, बनेगा रिकॉर्ड
punjabkesari.in Saturday, Mar 30, 2024 - 04:24 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत से एक्सपोर्ट में जबरदस्त तेजी आने वाली है। दुनियाभर में आर्थिक सुस्ती और संघर्षों के बावजूद भारत का निर्यात तेजी से बढ़ेगा और यह 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर का रिकॉर्ड आंकड़ा पार कर लेगा। इसमें द्विपक्षीय समझौतों के साथ ही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका एवं सेंट्रल एशिया के बाजार काफी मदद करेंगे। भारत से महंगी धातुओं, मिनरल्स, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, आर्गेनिक केमिकल्स, टेक्सटाइल्स, मसाले और डिफेंस उत्पादों का एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
नए देशों की कारोबार की संभावनाएं तलाश रहा भारत
भारत से निर्यात लगातार बढ़ रहा है। फरवरी, 2024 में यह सालाना आधार पर 11.9 फीसदी उछलकर 41.4 अरब डॉलर हो गया था। यह मार्च, 2023 के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा था। इसमें फार्मा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने हाल ही में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका एवं सेंट्रल एशिया के देशों के साथ व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया है। इससे भी निर्यात को बहुत मदद मिल रही है। इन देशों के साथ अप्रैल से दिसंबर 2023 के बीच लगभग 23.4 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ है।
ब्रिटेन और ओमान के साथ भी जल्द ही हो सकते हैं एफटीए
हाल ही में भारत ने 4 यूरोपीय देशों (EFTA) एक साथ भी एफटीए किया है। इनमें आइसलैंड, लाइकेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। इस समझौते से भारत के उत्पाद यूरोप के बाजारों में आसानी से पहुंच सकेंगे। इसके अलावा ब्रिटेन, ओमान और कई यूरेशियन देशों के साथ भी जल्द ही एफटीए हो सकते हैं। फिलहाल भारत का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, चीन, सिंगापुर और यूनाइटेड किंगडम के साथ होता है।
चुनौतियों के बावजूद भारत करेगा अच्छा प्रदर्शन
फियो (FIEO) के डीजी अजय सहाय ने बताया कि आने वाले सालों में एक्सपोर्ट के मोर्चे पर खुशखबरी आने वाली है। हम गुड्स एवं सर्विसेज में एक ट्रिलियन डॉलर एक्सपोर्ट का आंकड़ा साल 2030 तक आसानी से हासिल कर सकते हैं। हालांकि, अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में महंगाई और जिओ पॉलिटिकल समस्याएं एक्सपोर्ट के सामने चुनौती बनकर खड़ी हो सकती हैं। हमारा मानना है कि यूएस फेड अगले रिव्यू में ब्याज दरें कम कर सकता है। इससे अन्य देशों को भी ऐसा ही करने में मदद मिलेगी। इसके चलते कई देशों में डिमांड तेजी से बढ़ेगी।