कैसी होगी नए भारत की तस्वीर

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 05:27 AM (IST)

वीरवार को कौन जीता : भारतीय जनता पार्टी या और सटीक तौर पर कहें तो नरेन्द्र मोदी? और नए भारत को हम किस तरह परिभाषित करेंगे, जोकि मोदी का मानना है कि इस जनादेश से निकला है? पहले प्रश्र का उत्तर आसान है। दूसरा, शायद व्याख्यात्मक है, इसलिए कुछ पेचीदा है। 

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यह चुनाव मोदी के पक्ष में एक बड़ा समर्थन है। भारत के नए राजनीतिक मानचित्र को देखें तो आप समझ जाएंगे कि क्यों। पहला, 5 माह पहले कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की। वीरवार को मोदी ने इन राज्यों को दोबारा हासिल कर लिया। राजस्थान में उन्होंने सारी सीटें हासिल कर लीं, मध्य प्रदेश में एक सीट छोड़ कर, छत्तीसगढ़ में दो सीटें छोड़ कर सभी पर कब्जा जमा लिया। दिसम्बर का  जनादेश स्पष्ट तौर पर भाजपा के खिलाफ था। वीरवार नरेन्द्र मोदी की जीत का दिन था। 

बिहार और गुजरात की स्थिति
इसी तरह की तस्वीर बिहार और गुजरात से उभर कर सामने आती है। 2014 में एन.डी.ए. ने बिहार में 31 सीटें जीती थीं। अब उन्होंने 39 जीती हैं। 2014 में नीतीश नुक्सान में रहे थे लेकिन मोदी को दोनों बार जीत ही मिली है। 18 महीने पहले कांग्रेस यह मान रही थी कि उसने गुजरात में भाजपा को नुक्सान पहुंचाया है। इस बार, जब देश मोदी के नाम पर वोट दे रहा था, उन्होंने इस राज्य की सभी 26 सीटें जीत लीं। 

एक साल पहले कांग्रेस ने कर्नाटक में गठबंधन किया और यह सोचा कि इससे उन्हें 2019 में लोकसभा की काफी सीटें मिल जाएंगी। इसकी बजाय मोदी ने 55 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 28 में से 26 सीटें अपनी झोली में डालीं। ऐसे में अब इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया है कि पार्टी ने दक्षिण भारत में भी एंट्री कर ली है। भाजपा ने तेलंगाना में 4 सीटें जीती हैं और 20 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है। क्या यह दक्षिण में इसका दूसरा गढ़ बनने जा रहा है? 

मजबूत संगठन से मिला फायदा
इसमें कोई संदेह नहीं कि पश्चिम बंगाल में 18 और ओडिशा में 8 सीटें जीतने में पार्टी के मजबूत संगठन की अहम भूमिका रही। लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि जब लोगों ने ई.वी.एम. का बटन दबाया तो उनके दिमाग में मोदी था। परिणामस्वरूप आज मोदी जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे दिग्गज प्रधानमंत्रियों की श्रेणी में आ गए हैं। उनका कद नरसिम्हा राव, वाजपेयी और राजीव गांधी से भी ऊपर हो गया है। इससे मेरे दिमाग में नए भारत का ख्याल आता है जो उनके अनुसार इस जनादेश से निकला है। इसकी पहचान क्या है? 

पहला, नेहरू की सोच का भारत जिसमें विभिन्न धर्मों, जातियों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग-विविधता से भरा हुआ एक देश-जो धर्मनिरपेक्ष संघीय ढांचे से आपस में बंधा है, इतिहास बनने जा रहा है। इसमें विश्वास करने वाले लोग राजनीतिक तौर पर हाशिए पर पहुंच गए हैं। भारत की एक नई परिभाषा सामने है। यह एक हिन्दू भारत है, जिसमें एकल सभ्यता है और जो विभिन्न संस्कृतियों से बना हुआ नहीं है, जहां अल्पसंख्यक मुख्यधारा में शामिल होते हैं तथा देश हिन्दू चरित्र से अपनी ताकत और अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल करता है।

आखिर में, तीन प्रश्रों के उत्तर मिलने जरूरी हैं। आज यदि मुसलमान और शायद दलित भी घबराए और यहां तक कि डरे हुए हैं तो क्या नया भारत उन्हें भरोसा दिलाएगा? क्या अंतर और असहमति, जिसके आधार पर हम कभी खुद को परिभाषित करते थे, से घृणा की जाएगी और उसका मुंह बंद कर दिया जाएगा? क्या भाजपा सांसदों और इसके राज्यपालों सहित संघ परिवार की ओर से घृणापूर्ण बातें कही जाएंगी जिन्हें सरकार सहन कर लेती है? ये सब नरेन्द्र मोदी पर निर्भर करता है। इस नए भारत में वही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जो मायने रखते हैं। कम से कम वर्तमान में तो ऐसा ही है।-करण थापर
 


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