देश में लगातार बढ़ रहा कुत्तों का उत्पात लोगों में भय का माहौल

punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2020 - 12:47 AM (IST)

देश में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ रही संख्या पर नियंत्रण पाने की कोई ठोस नीति न होने के कारण इनकी संख्या बढऩे के साथ-साथ उसी अनुपात में इनका कहर और लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए 25 फरवरी, 2019 को सुप्रीमकोर्ट ने इनके आतंक पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार से पूछा था कि आवारा कुत्तों के आतंक की समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? अन्य स्थानों के अलावा हड्डी रोडिय़ों, होटलों और मांस विक्रेताओं की दुकानों के सामने बैठे आवारा कुत्ते वहां से पैदल गुजरतेे लोगों, साइकिल एवं मोटरसाइकिल सवारों पर टूट पड़ते हैं और दुधारू जानवर भी इनका शिकार बन रहे हैं। 

हालत यह है कि अकेले पंजाब में ही 2019 में आवारा कुत्तों के काटने के 1.35 लाख केस दर्ज हुए हैं तथा अन्य राज्यों की भी लगभग ऐसी ही स्थिति है। लोग अपने बच्चों को घरों से बाहर भेजने से भी डरने लगे हैं। अब तो आवारा कुत्तों के साथ-साथ लोगों द्वारा घरों में पाले हुए कुत्ते भी, जिन्हें उनके मालिक गलियों में घूमने के लिए छोड़ देते हैं, लोगों पर हमला करने लगे हैं। इनका बढ़ चुका उत्पात मात्र चंद दिनों की निम्र घटनाओं से स्पष्ट है : 

19 जनवरी को गुरदासपुर के गांव कोटली सैनी में एक 9 वर्षीय बालक पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला करके उसे बुरी तरह जख्मी कर डाला। 21 जनवरी को राजनांद गांव में एक आवारा पागल कुत्ते ने राह चलते 9 लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर काटा और लहूलुहान कर दिया। 25 जनवरी को आगरा में ताजमहल देख कर लौट रहा आस्ट्रेलियन पर्यटक एक आवारा कुत्ते का शिकार बना जिसे कुत्ते ने काट कर लहूलुहान कर दिया। 26 जनवरी को लुधियाना के बाहोमाजरा में 3 आवारा कुत्तों ने 4 वर्षीय बालक को नोच डाला जिसने मां की गोद में तड़पते हुए दम तोड़ दिया। 26 जनवरी को समराला में आवारा कुत्ते एक गाय के बछड़े को नोच-नोच कर खा गए। 

28 जनवरी को जालंधर में एक 12 वर्षीय बच्चे पर हमला करके पिटबुल डॉग ने उसे 25 स्थानों पर काट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया और डाक्टरों के अनुसार उसे सभी 25 स्थानों पर इंजैक्शन लगाने पड़ेंगे। कुत्ते का हमला इतना जबरदस्त था कि लाठियों से ताबड़तोड़ पीटने के बावजूद लोग बड़ी मुश्किल से मासूम को उस कुत्ते से छुड़वा पाए। 28 जनवरी को ही जालंधर के गांव नाहला में स्कूल से छुट्टी कर घर जा रहे 8 वर्षीय बच्चे को काट कर कुत्तों ने लहूलुहान कर दिया। 29 जनवरी को खन्ना के किशन नगर में आवारा कुत्तों ने एक 13 वर्षीय बच्चे को काट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। बच्चे को सरकारी अस्पताल में ले जाने पर पता चला कि वहां रैबीज का इंजैक्शन भी उपलब्ध नहीं था। 29 जनवरी को  ही महाराष्ट्र में कोल्हापुर के करबीर गांव में कुछ दिन पूर्व एक पागल कुत्ते द्वारा काट लेने के परिणामस्वरूप एक भैंस की रैबीज से मृत्यु से दहशत में आए उस भैंस का दूध पीने वाले अनेक लोग रैबीज से बचाव के लिए टीके लगवाने अस्पताल पहुंच गए। 

30 जनवरी को जालंधर के जी.टी.बी. नगर में आवारा कुत्तों ने हमला करके एक वृद्ध महिला का हाथ काट खाया। कुत्तों से अधिक भय रात को रहता है और तब लोग सर्वाधिक असुरक्षित महसूस करते हैं। गलियों में बैठे आवारा कुत्ते वहां से गुजरने वालों की टांगें पकड़ लेते हैं। विशेष रूप से दोपहिया व पैदल चलने वाले इनका शिकार होते हैं। स्थानीय निकायों द्वारा इन्हें पकडऩे के लिए शुरू किए अभियान नाकाफी हैं। आवारा कुत्तों के शिकार एक बालक के पिता के अनुसार, ‘‘आज देश में यदि किसी आवारा कुत्ते को कोई व्यक्ति मार दे तो उस पर कार्रवाई हो जाती है परंतु यदि आवारा कुत्ता किसी व्यक्ति को काट ले तो कोई कार्रवाई नहीं।’’ 

ये आवारा कुत्ते किसी एक राज्य के लिए नहीं बल्कि देश के अधिकांश राज्यों के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं जिस पर रोक लगाने के लिए आवारा कुत्तों की नसबंदी और उन्हें बाड़ों में बंद करना और सरकारी अस्पतालों में दवाई और एंटी रैबीज इंजैक्शनों की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करना जरूरी है। आम शिकायत है कि अधिकांश स्थानों पर न ही आवारा कुत्तों को पकड़ कर उनको बाड़ों में बंद करने और उनकी नसबंदी के प्रबंध हैं और न ही सरकारी अस्पतालों में अक्सर कुत्तों के काटे की दवाई उपलब्ध होती है।—विजय कुमार 


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