‘चूहों के उत्पात से’‘अस्पतालों के मरीज तक सुरक्षित नहीं’

punjabkesari.in Tuesday, Apr 09, 2024 - 05:14 AM (IST)

देश में चूहों ने उत्पात मचा रखा है। यहां तक कि चूहे अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों तक के लिए खतरा बन रहे हैं, जो निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है :

* 14 नवम्बर, 2023 को चेन्नई (तमिलनाडु) स्थित सरकारी ‘स्टेनली मैडीकल कालेज और अस्पताल’ की कैंटीन के वायरल वीडियो में एक चूहे को पकौड़े खाते और खाद्य पदार्थों वाले रैक में भागते हुए देखा गया। 
* 26 दिसम्बर, 2023 को रामपुर (उत्तर प्रदेश) के जिला अस्पताल के वायरल हुए एक वीडियो में चूहे अस्पताल में भर्ती रोगियों के निकट घूमते और मेज पर रखी उनकी चीजों को खाते हुए नजर आए। यही नहीं, चूहे एक रोगी के बैड पर पहुंच कर उसके आसपास घूमते दिखाई दे रहे थे। 

* 18 जनवरी, 2024 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) हाईकोर्ट ने प्रयागराज के ‘स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल’ में चूहों के उत्पात संबंधी समाचार का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस संबंध में केस दर्ज करने का आदेश दिया।
बताया जाता है कि अस्पताल के दवाओं के स्टोर से लेकर बेसमैंट और वार्डों तक में चूहों ने उत्पात मचा रखा है। चूहे मरीजों के लिए रखी गई दवाएं और ग्लूकोज की बोतलों तक को कुतर कर हजम कर रहे हैं तथा प्रतिवर्ष लाखों रुपयों की दवाएं नष्ट कर रहे हैं।
* 2 फरवरी, 2024 को दांतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) जिला अस्पताल के प्रसूति वार्ड से संबंधित रिपोर्ट में बताया गया कि वहां बड़ी संख्या में चूहे घूमते रहते हैं। चूहों द्वारा बच्चों को काटने के डर से रोगियों के तीमारदारों को रात को जागना पड़ता है। चूहे तीमारदारों के थैलों तक में घुस जाते हैं। 

* 10 फरवरी, 2024 को कानपुर (उत्तर प्रदेश) स्थित ‘उर्सला हार्समैन मैमोरियल अस्पताल’ के ओ.पी.डी. भवन की बेसमैंट में लगी 25 लाख रुपए मूल्य की डिजीटल एक्स-रे मशीन के अंदर घुस कर चूहों ने कई तारों को कुतर डाला जिससे उसने काम करना बंद कर दिया है। इससे पहले भी चूहे अस्पताल में कई चिकित्सा उपकरण कुतर कर खराब कर चुके हैं। 
* 11 फरवरी, 2024 को हैदराबाद में ‘सरकारी मैडीकल कालेज एवं अस्पताल’ के इंटैंसिव केयर यूनिट में सर्जरी के बाद बेहोशी की हालत में पड़े उपचाराधीन एक रोगी के दाएं हाथ और पैरों की उंगलियों को चूहों ने काट दिया।
* 2 अप्रैल को पुणे (महाराष्ट्र) स्थित ‘ससून अस्पताल’ के आई.सी.यू. वार्ड में उपचाराधीन एक रोगी की चूहे के काटने से मौत के बाद हड़कंप मच गया और परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया। 

* 5 अप्रैल को वायरल हुए लुधियाना सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड के वीडियो में अस्पताल की दीवार में बने बिल से बड़ी संख्या में चूहे बाहर निकलते व रोगियों के बैडों पर उछल-कूद करते दिखाई दे रहे थे। रोगियों का कहना है कि चूहों के डर से उन्हें रात जाग कर बितानी पड़ती है। अस्पताल में चूहों के उत्पात का स्वत: संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य, सिविल सर्जन और लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर से इस संबंध में 22 मई से पहले रिपोर्ट मांगी है तथा इस बारे वायरल समाचारों के हवाले से कहा है कि : 

‘‘अस्पताल में रात-दिन 60 से 80 तक चूहे मरीजों को परेशान करते रहते हैं। ये चूहे रोगियों के कम्बल खींच कर, बर्तनों में रखा भोजन खाकर, रोगियों को काट कर और छत को कुतर कर गंदगी एवं बीमारियां फैला रहे हैं।’’
उक्त घटनाक्रम के दृष्टिगत यही कहा जा सकता है कि अस्पतालों में चूहों के फलने-फूलने तथा उत्पात के लिए जहां इनका प्रबंधन जिम्मेदार है, वहीं किसी सीमा तक इसके लिए अस्पतालों में उपचाराधीन मरीज और उनके तीमारदार भी जिम्मेदार हैं, जो खाना खाने के बाद बचा-खुचा भोजन ढंग से ठिकाने लगाने की बजाय इधर-उधर फैंक देते हैं, जो चूहों को वार्डों में खींच लाता है। ये तो चूहों के उत्पात से ग्रस्त कुछ सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के चंद उदाहरण हैं, जबकि इनके अलावा भी कई अस्पताल हैं, जिनमें चूहों ने उत्पात मचा रखा है। अत: अस्पतालों के प्रबंधकों को चूहों को मारने और भगाने के लिए दवा की गोलियां डालने और चूहों को पकडऩे के लिए चूहेदानियां लगाने की तुरंत आवश्यकता है। ऐसा करके ही अस्पतालों को इनके उत्पात से किसी सीमा तक मुक्ति दिलाई जा सकेगी।—विजय कुमार 


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